मेरठ:लड़कियों की शादी की उम्र सीमा 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष किए जाने की कवायद का स्वागत राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष सुषमा सिंह ने किया है. उन्होंने कहा कि आज उनका बेटा 21 साल का है और उनकी शादी 18 वर्ष की उम्र में हो गई थी. उन्होंने कहा कि जब उनका विवाह हुआ था. तब उन्हें कोई समझ नहीं थी. जब लड़के-लड़कियों में भेद नहीं है तो उम्र में क्यों भेद किया जाए.
राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष सुषमा सिंह आज शाम मेरठ सर्किट हाउस पहुंचीं. इस मौके पर उन्होंने लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने की कवायद का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि लड़के-लड़कियों में भेद नहीं तो फिर उम्र का ही भेद आखिर क्यों. लड़के-लड़कियों को पढ़ने का मौका दिया जाए. आगे बढ़ने का मौका दिया जाए. जो लोग इस बारे में विरोध कर रहे हैं. वे लोग महिलाओं-बालिकाओं को आगे बढ़ना नहीं देना चाहते.
जानकारी देती राज्य महिला आयोग उपाध्यक्ष सुषमा सिंह. जमात उलेमा ए हिंद संगठन के विरोध पर भी राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष ने कहा कि यह लोग सोचते हैं. महिलाएं केवल बच्चे पैदा करने के लिए हैं और एक प्रतिशत लोग तो हर जगह मिलेंगे, जिनका काम ही विरोध करना है. केंद्र सरकार लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के लिए कानून लाने जा रही है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को महिलाओं के लिए विवाह की कानूनी उम्र 18 से 21 वर्ष तक बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसके लिए सरकार मौजूदा कानूनों में जल्द ही संशोधन लाएगी. हालांकि अभी कानून बनने से पहले ही इस प्रस्ताव का विरोध होने लगा है.
गौरतलब है कि इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के बाद सरकार बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 में एक संशोधन पेश करेगी और इसके परिणाम स्वरूप विशेष विवाह अधिनियम और हिंदू विवाह अधिनियम 1955 जैसे व्यक्तिगत कानूनों में संशोधन लाएगी. बुधवार को दी गई मंजूरी दिसंबर 2020 में जया जेटली की अध्यक्षता वाली केंद्र की टास्क फोर्स द्वारा नीति आयोग को सौंपी गई सिफारिशों के आधार पर है. इसका गठन मातृत्व की उम्र से संबंधित मामलों, मातृ मृत्यु-दर को कम करने की आवश्यकता पोषण में सुधार से संबंधित मामलों की जांच के लिए किया गया था.
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