मेरठः अप्रैल महीने में दिन पे दिन पारा चढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में शीतल और स्वच्छ जल के लिए लोग लालायित नजर आते हैं. मेरठ में भीषण गर्मी के इस सीजन में लोगों को परम्परागत तरीके अधिक रास आ रहे हैं. यही वजह है कि लोग प्यास मिटाने के लिए मिट्टी से बने राजस्थानी मटके, दिल्ली की सुराही, गुजराती घड़ों को बेहद पसंद कर रहे हैं. वहीं खास मिट्टी की वाटर बोतलें भी लोगों को आकर्षित कर रही हैं.
जैसे-जैसे पारा चढ़ रहा है देखा जा रहा है कि गला तर करने को हर किसी को शीतल जल की दरकार यानी जरूरत होती है. अभी अप्रैल महीना चल रहा है, लेकिन जैसे-जैसे दिन निकलता है और सूरज चढ़ना शुरू होता है. तापमान भी दोपहर होते-होते 40 के पार हर दिन पारा पहुंच रहा है. मेरठ की अगर बात करें तो यहां देखा जा रहा है इस तपती गर्मी में लोग परम्परागत तरीकों को अपना रहे हैं.
गर्मी के इस सीजन में लोग अपने घर के लिए फ्रीज के ठंडे पानी की बजाए घड़ों और सुराहियों की खरीदारी करने में बेहद रूचि ले रहे हैं. ईटीवी भारत ने कुछ लोगों से बात भी की, तो वे कहते हैं कि सबसे बड़ा फायदा तो ये है कि परम्परागत माध्यमों से जल की गुणवत्ता बरकरार रहती है. वहीं जिस तरह से बिजली के दाम बेलगाम बढ़े हुए हैं. उस लिहाज से भी सुराही या मटके या अन्य सामान उन्हें पानी को स्टोर करने के लिए सस्ता और सुलभ तरीका लगता है.