मेरठ :पश्चिमी यूपी न सिर्फ गन्ना उत्पादन का केंद्र है, बल्कि यहां के गुड़ का जायका भी सबसे अलग है. यहां के गुड़ की मिठास के तो सभी कायल हैं लेकिन क्या आपको पता है कि अब बाडार में अलग-अलग फ्लेवर वाला गुड़ भी आ चुका है और बहुत कम समय में इसकी डिमांड तेजी से बढ़ी है. जी हां, हम बात कर रहे हैं मेरठ के शैलेंद्र चौधरी के, जिन्होंने गुड़ की अलग-अलग वैरायटी बनाकर इसका जायका और बढ़ा दिया है. अब तो कई राज्यों में इसकी सप्लाई हो रही है.
गुड़ को सेहत के लिए हमेशा से लाभकारी माना गया है. माना जाता है कि इसके सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित होती है. खासकर सर्दी में तो गुड़ की मांग और बढ़ जाती है. अब गुड़ की बात हो और वेस्ट यूपी का नाम न आए, ये हो नहीं सकता. यहां बनने वाले गुड़ की मिठास के तो कहने ही क्या. इस मिठास को बढ़ाया है बाजार में उपलब्ध अलग-अलग फ्लेवर ने. खास बात यह कि इस वैरायटी को काफी पसंद किया जा रहा है.
तीन साल पहले मेरठ के शैलेंद्र ने की शुरुआत
मेरठ के शैलेन्द्र चौधरी यूं एक किसान हैं. बीते तीन साल में उन्होंने गुड़ के कई फ्लेवर बनाकर बाजार में उतार दिए. बहुत जल्द शैलेंद्र को इसका परिणाम मिला. आज बाजार में इनके बनाए गुड़ की सोंधी महक बिखरी पड़ी हगै. शैलेन्द्र चौधरी बताते हैं, परम्परागत गुड़ की बाजार में खूब डिमांड है, लेकिन जब उन्होंने इसका कारोबार करने का मन बनाया तो पहले प्रॉपर प्लानिंग की. गन्ना शोध संस्थान लखनऊ के विशेषज्ञों का मार्गदर्शन लिया. बताते हैं, उसके बाद गुड़ को अलग-अलग फ्लेवर में बनाने की विधि सीखी. साथ ही यह भी सीखा कि फ्लेवर की गुड़ में कितनी मात्रा पर्याप्त रहेगी. उसके बाद जब गुड़ तैयार किया तो पहले स्थानीय बाजार में ही उसे लेकर आए. लोगों ने इस गुड़ को खूब पसंद किया. देखते ही देखते उन्होंने गुड़ के 12 से ज्यादा फ्लेवर में उतार दिया.
हल्दी गुड़, इलायची गुड़, अदरक गुड़, अजवायन गुड़ जैसे फ्लेवर
शैलेंद्र ने बताया कि फ्लेवर्ड गुड़ की देशभर में खूब डिमांड है. फिलहाल 12 से ज्यादा फ्लेवर वाले गुड़ का निर्माण कराया जा रहा है. जिनमें हल्दी गुड़, इलायची गुड़, अदरक गुड़, अजवायन गुड़, ड्राई फ्रूट की वैरायटी भी है. इसके अलावा गुड़ में तुलसी, गिलोय , काली मिर्च, मेथी, सौंफ, तिल, बादाम, काजू मिलाकर तैयार किया जा रहा है. अश्वगंधा मिलाकर स्पेशल गुड़ बना रहै हैं. बताया कि फ्लेवर्ड गुड़ की लगातार डिमांड बढ़ रही है. इतनी कि वह पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं.