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मेरठ में जो हुआ वह इतिहास का काला दिन था: चंद्रशेखर

भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर मेरठ पहुंचे. यहां उन्होंने सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों से परिजनों से मुलाकात की. उन्होंने परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन भी दिया

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मेरठ हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों से मिले चंद्रशेखर.

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Published : Jan 19, 2020, 11:01 PM IST

मेरठ: भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर शनिवार को सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों से मिलने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है. देश का संविधान हर नागरिक को अपनी बात रखने का अधिकार देता है. देश के नागरिकों को शांतपूर्वक विरोध करने का अधिकार भी है. उन्होंने कहा कि मेरठ में जो हुआ वह बहुत भयानक था. इस दौरान चंद्रशेखर ने हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को हर संभव मदद का आश्वासन भी दिया.

मेरठ हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों से मिले चंद्रशेखर.
वह इतिहास का काला दिन था
चंद्रशेखर ने कहा कि मेरठ में जो कुछ भी हुआ वह इतिहास का काला दिन था. जिन अधिकारियों ने ऐसा किया उनके खिलाफ वो अदालत में गए हैं. इस मामले में अदालत ने 23 तारीख नियत की है. उम्मीद है कि न्यायालय शोषितों के पक्ष में फैसला देगी और मासूमों पर अत्याचार करने वाले अधिकारियों को जेल भेजने का फैसला देगी.

एक दिन में सब बवाली कैसे हो गए
उन्होंने यूपी पुलिस पर निशाना साधते हुए कहा कि वो निर्दोष लोगों पर इसलिए अत्याचार कर रही है ताकि कोई भी विरोध प्रदर्शन न करे. पुलिस ने तानाशाही दिखाते हुए निर्दोषों के सिरों में गोली मारी है. पुलिस को विषम परिस्थितियों में सिर्फ पैर में गोली मारने का अधिकार है.

चंद्रशेखर ने कहा कि ये सारी बातें अदालत में साफ हो जाएंगी. चंद्रशेखर ने यूपी पुलिस पर सवाल उठाते हुए कहा कि हिंसा में मारे गए सभी लोग मेरठ के ही रहने वाले थे. ये सभी लंबे समय से अमन चैन से रह रहे थे. फिर कैसे एक ही दिन में सभी बवाली हो गए.

एनआरसी के लिए मान्य नहीं है पासपोर्ट
चंद्रशेखर ने केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर किसी को दूसरे देश में जाना है तो वो अपना पासपोर्ट लेकर जा सकता है, लेकिन एनआरसी के लिए पासपोर्ट मान्य नहीं है. आधार कार्ड से बैंक खाता तो जोड़ा जा सकता है, लेकिन एनआरसी के लिए आधार कार्ड मान्य नहीं है.

असम में एनआरसी से बाहर हुए 19 लाख लोग
देश में एनआरसी से सबसे ज्यादा दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोग प्रभावित होंगे. असम में एनआरसी लागू कर दी गई है, जिसमें कि 19 लाख लोग बाहर हो गए. इनमें 15 लाख दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोग हैं. वहीं बड़ी संख्या में मुसलमान भी शामिल हैं.

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