मेरठः शहर में बसपा के पूर्व राज्य मंत्री योगेंद्र जाटव इन दिनों चर्चाओं में है. इसकी वजह है उनके नाम से सामने आया एक बीपीएल कार्ड. आरोप है कि इस कार्ड के जरिए हर माह दस किलो चावल और 15 किलो गेहूं लिया जा रहा है. हालांकि आपूर्ति विभाग के अफसर लीपापोती में जुट गए हैं. वहीं, पूर्व राज्यमंत्री ने इस आरोप को खारिज किया है.
बीपीएल कार्ड के डाटा के अनुसार मई 2020 में बसपा सरकार में मंत्री रहे योगेंद्र जाटव के नाम से उनके भगवत पुरा के पते पर बीपीएल कार्ड बना है. इस कार्ड में उनकी पत्नी किरण देवी, नमन, रवि कुमार जाटव और अंजलि के नाम दर्ज हैं. ऐसे में इस राशन कार्ड पर हर महीने सुनीता गुप्ता, श्याम नगर की कोटेदार से मुफ्त राशन लिया जा रहा है.
बीपीएल कार्ड से राशन लेने के मामले में पूर्व राज्यमंत्री योगेंद्र जाटव ने दी ये सफाई. ये भी पढ़ेंः अगर जिन्ना पहले प्रधानमंत्री बनते तो देश का बंटवारा नहीं होता: ओम प्रकाश राजभर
खाद्य सुरक्षा अधिकार अधिनियम के तहत गरीब परिवारों को ही बीपीएल राशन कार्ड का पात्र माना जा सकता है जिसके पास पक्का मकान न हो, घर में जेनरेटर, लाइसेंसी हथियार, दो पहिया और चौपहिया वाहन आदि न हो. पूर्व राज्यमंत्री के पास करोड़ों की संपत्ति है. ऐसे में उनका बीपीएल कार्ड आखिर कैसे बन गया. यह सवाल उठ रहा है. उधर, इस मामले को लेकर आपूर्ति विभाग लीपा-पोती में जुट गया है.
इस पूरे घटनाक्रम पर बसपा के पूर्व राज्य मंत्री योगेंद्र जाटव ने सफाई देते हुए कहा है कि वह व्यापारी हैं और हर तरह से सक्षम हैं. उन्हें भला बीपीएल कार्ड की क्या जरूरत? साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बाबा साहेब और बहन जी की कृपा से आज दलित समाज के लोग सोने और चांदी के बर्तनों में खाना खाते हैं. ऐसे में हम बीपीएल कार्ड क्यों लेंगे? पूर्व मंत्री ने कहा कि वह इस बात का खंडन करते हैं. उनका बीपीएल कार्ड से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि यह आरोप झूठा है.
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