मेरठ :गांव की पगडंडियों से शुरू हुआ दौड़ का सिलसिला एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल तक जाकर पहुंच गया. भराला इलाके के इकलौता गांव की पारुल चौधरी ने 5000 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल हासिल किया तो उनके गांव के लोग खुशी से झूम उठे. मां और पिता की आंखों में खुशी के आंसू छलक आए. ईटीवी भारत से बातचीत में एथलीट की मां कई बार भावुक हुईं. कहा कि बेटी ने देश और गांव का नाम रोशन कर दिया. किस तरीके से अपनी खुशी बयां करूं, कुछ समझ नहीं आ रहा है. भगवान ऐसी बेटी सभी को दें.
बचपन से ही फर्राटा भरती रहीं हैं पारुल :भराला इलाके के इकलौता गांव निवासी कृष्णपाल किसान हैं. उन्होंने बताया कि पारुल बचपन से ही फर्राटा भरती रही है. दौड़ना हमेशा से ही उसके लिए जुनून रहा है. देश के लिए खेलना और मेडल जीतना उसका सपना रहा है. वह इसके लिए कड़ी मेहनत कर रही थी. उसने अपने सपनों को अब मंजिल तक पहुंचा दिया है. एक दिन पहले ही उसने चीन के हांगझू में हो रहे एशियन गेम्स में 3000 मीटर स्टीपल चेज में रजत पदक जीता था. अब उसने मंगलवार को महिलाओं की 5000 मीटर दौड़ के फाइनल में पहला स्थान हासिल कर भारत को 14वां स्वर्ण पदक दिलाया तो हम सभी खुशी से झूम उठे.
कई मेडल कर चुकी हैं अपने नाम :एथलीट पारुल चौधरी के चार भाई-बहन हैं. इनमें वह तीसरे नंबर पर हैं. एथलीट के अन्य भाई-बहनों ने बताया कि उन्हें पारुल की उपलब्धि पर गर्व है. पारुल दौड़ में हमेशा से ही होनहार रहीं हैं. वह दौड़ में सबसे आगे निकलने की होड़ करती थीं. इसी रोमांच को उसने अपना लक्ष्य बना लिया. पारुल रेलवे में अपनी सेवाएं दे रहीं हैं. वह अनेकों मेडल अपन नाम कर चुकी हैं. उनके घर के एक कमरे टंगे मेडल और ट्रॉफियां उनकी कामयाबी की उड़ान को बयां करते हैं.