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मेरठ में सैंकड़ों आशा वर्करों ने अफसरों पर लगाया मानदेय हड़पने का आरोप, यहां किया प्रदर्शन - आशा वर्कर्स

जिला मुख्यालय पर सैंकड़ों आशा कार्यकर्ताओं ने धरना-प्रदर्शन किया. आशा वर्करों का आरोप है कि सरकारी योजनाओं के प्रचार -प्रसार से लेकर तमाम जिम्मेदारी उनके द्वारा उठाई जा रही है. लेकिन जब बात मानदेय की आती है तो जिम्मेदार अफसर आनाकानी कर अवैध वसूली करने लगते हैं.

प्रदर्शन करतीे आशा वर्कर्स
प्रदर्शन करतीे आशा वर्कर्स

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Published : Oct 26, 2021, 6:06 PM IST

मेरठ : मंगलवार को जिला मुख्यालय पर सैंकड़ों आशा कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन किया. आशा वर्करों का आरोप है कि सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार से लेकर तमाम जिम्मेदारियां उनके द्वारा उठाई जाती है जिसे अफसर उन्हें सौंपते हैं. इसके बावजूद मानदेय देने के नाम पर उनके साथ आनाकानी व अवैध वसूली तक की जाती है.

इस मौके पर आशा वर्करों ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए संबंधित जिम्मेदारों पर शोषण के आरोप लगाए. आरोप लगाया कि पिछले कई माह से उन्हें काम के पैसे तक नहीं मिले. उन्हें बेहद ही न्यूनतम मानदेय पर कार्य करना पड़ता है. इतना ही नहीं उनका ये भी आरोप है कि जो न्यूनतम मानदेय उन्हें मिलना चाहिए उसे लेने के लिए भी उनसे अवैध वसूली की जाती है.

मेरठ में सैंकड़ों

आशा वर्करों का कहना है कि कुछ दिन पूर्व भी उन्होंने अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए धरना-प्रदर्शन किया था लेकिन उनकी किसी समस्या का हल अभी तक नहीं निकला. पिछले कई माह से काफी जगह मानदेय नहीं मिला. इससे उनके सामने संकट की स्थिति पैदा हो गई है.

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कहा कि कोरोनाकाल में अनवरत उन्होंने अपनी सेवाएं दीं लेकिन विभाग उनकी दिक्कतों पर जरा भी गौर नहीं करता. कहा कि उन पर दबाव बनाकर काम कराया जा रहा है जबकि पूर्व में भी वो निर्णय ले चुकी हैं कि बिना मानदेय व बिना न्यूनतम मानदेय तय हुए वो अपनी सेवाएं नहीं देंगीं.

मेरठ में सैंकड़ों

आशा वर्करों ने कहा कि संचारी रोगों, कीड़ों की दवाई वितरित करने, कोविड 19 वैक्सीन सर्वे करने, गोल्डन कार्ड बनाने का कार्य करने को दबाव बनाया जा रहा है. अफसरों पर आशा वर्कर आरोप लगाती हैं कि उनसे कहा गया कि उपरोक्त कार्य नहीं करेंगे तो उनके बाउचर साइन नहीं किये जाएंगे. साथ ही सेवा समाप्ति के लेटर जारी किए जाने अल्टीमेटम भी उन्हें दिया गया. आशा वर्कर्स का कहना है कि उनकी मांग है कि एक तो उनकी समस्याओं का समाधान हो व दूसरा उन आशा वर्करों को स्थाई कर्मचारी घोषित किया जाए.


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