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मेरठ: म्यूजियम में संरक्षित हैं बासमती की सभी वैरायटी - बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान

यूपी के मेरठ में बासमती धान की उन्नत खेती को बढ़ावा देने के लिए एक म्यूजियम बनाया गया है. इस म्यूजियम में देश के अंदर अब तक रिलीज हुईं बासमती धान की सभी वैरायटी मौजूद हैं. इन वैरायटी को खेत से लाकर संरक्षित करने के बाद यहां रखा गया है.

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बासमती.

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Published : Oct 17, 2020, 5:07 PM IST

मेरठ:बासमती धान की खेती करने वालों के लिए एक ही छत के नीचे अब तक रिलीज हुई धान की सभी वैरायटी उपलब्ध हैं. यही नहीं इन वैरायटी को संरक्षित करके रखा गया है. उन्हें देखकर किसान न केवल अपनी जानकारी में इजाफा करते हैं, बल्कि बासमती धान की उन्नत खेती करने के तौर-तरीके भी सीखते हैं.

जानकारी देते प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा.

जिले में स्थित बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान में बासमती धान की उन्नत खेती को बढ़ावा देने के लिए एक म्यूजियम बनाया गया है. इस म्यूजियम में देश के अंदर अब तक रिलीज हुई बासमती धान की सभी वैरायटी मौजूद हैं. इन वैरायटी को खेत से लाकर संरक्षित करने के बाद यहां रखा गया है, ताकि किसान इन्हें देखकर बासमती की अलग-अलग वैरायटी के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें.

अब तक रिलीज हुईं 34 वैरायटी
बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के प्रभारी और प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा ने बताया कि अभी तक देश के अंदर बासमती की 34 वैरायटी रिलीज की गई हैं. इनमें सबसे पहले 1933 में बासमती की वैरायटी 370 रिलीज की गई थी. यह वैरायटी भी म्यूजियम में मौजूद है. सबसे लेटेस्ट वैरायटी 1652 पूसा बासमती है.

देशभर से किसान आते हैं वैरायटी देखने
डाॅ. रितेश शर्मा ने बताया कि यहां बासमती धान की वैरायटी का फील्ड प्रदर्शन और म्यूजियम में मौजूद वैरायटी को देखने के लिए देश के हर राज्य से किसान यहां पर आते हैं. हरियाणा और पंजाब के बाद वेस्ट यूपी में बासमती धान की खेती के प्रति किसानों का रुझान बढ़ रहा है. यहां के किसान बासमती की खेती पर जोर दे रहे हैं.

किसानों को दिया जाता है प्रशिक्षण
प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा ने बताया कि बासमती का निर्यात करने के लिए फसल के प्रबंधन से संबंधित जानकारी किसानों को दी जाती है. किसानों को इस संबंध में प्रशिक्षण भी दिया जाता है. किसानों को बासमती का बीज भी यहां उपलब्ध कराया जाता है. खेती संबंधी समस्याओं का वैज्ञानिक तरीके से निदान कराया जाता है, ताकि निर्यात के दौरान किसी तरह की समस्या का सामना किसान को न करना पड़े.

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