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चाय बेचने को मजबूर मासूम ने कहा- इसके सिवा कोई चारा नहीं

जिस उम्र में पढ़ाई के लिए स्कूल जाना चाहिए, उस उम्र में मेरठ का ये मासूम अपनों का पेट पालने के लिए सड़कों पर घूमकर चाय बेचने को मजबूर है. घर में आई एक आफत ने इस 14 वर्षीय बच्चे को चाय की केतली उठाने पर विवश कर दिया.

चाय बेचने को मजबूर मासूम
चाय बेचने को मजबूर मासूम

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Published : May 20, 2022, 1:03 PM IST

मेरठ:जिस उम्र में पढ़ाई के लिए स्कूल जाना चाहिए, उस उम्र में मेरठ का ये मासूम अपनों का पेट पालने के लिए सड़कों पर घूमकर चाय बेचने को मजबूर है. घर में आई एक आफत ने इस 14 वर्षीय बच्चे को चाय की केतली उठाने पर विवश कर दिया. हालांकि, जब उससे उसके बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि वो भी दूसरे बच्चों की तरह पढ़ना लिखना चाहता है, लेकिन घर की तंगी और मां-बाप की लाचारी के कारण वो नियमित स्कूल जाकर पढ़ाई करने में असमर्थ है, क्योंकि उसके सिर पर सभी की जिम्मेदारी है और उसकी एक बहन भी है, जो अक्सर उसका इंतजार करती है.

वहीं, ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए प्रेम नाम के इस मासूम ने बताया कि उसका परिवार बेहद ही संकट की स्थिति में है. लाख गुहार के बाद भी उनकी मदद को आज तक कोई भी सामने नहीं आया. ऐसे में अपनों के लिए उसने चाय बेचना शुरू किया, ताकि उनका पेट भर सके. साथ ही उसने बताया कि वो अपनी छोटी बहन को पढ़ाना चाहता है, इसलिए वो इन दिनों ज्यादा मेहनत भी कर रहा है.

दरअसल, मेरठ के शिव शक्ति कॉलोनी का रहने वाला प्रेम (14) चाय बेचकर किसी तरह से अपने परिवार का पेट पालने के साथ ही बीमार मां की इलाज भी कर रहा है. जबकि उसके पिता भी शारीरिक अस्वस्थता के कारण काम नहीं कर पाते हैं. वहीं, मेरठ मेडिकल कॉलेज से करीब दो किलोमीटर के फासले पर स्थित शिव शक्ति कॉलोनी में एक किराए के मकान में वो अपने माता-पिता और छोटी बहन के साथ रहता है. जहां वो अपनी मां की मदद से चाय बनाता है और फिर उसे केतली में भरकर बेचने के लिए निकल जाता है.

चाय बेचने को मजबूर मासूम

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प्रेम ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में रोजाना बड़ी संख्या में उपचार के लिए मरीज व उनके परिजन आते हैं. ऐसे में वो यहां घूम-घूमकर चाय बेचता है. वहीं, प्रेम की मां प्रीति शर्मा ने बताया कि वे स्थानीय आशा ज्योति केंद्र में नौकरी करती थीं, लेकिन वहां उसे एक साल काम करने के बाद भी मेहनताना नहीं दिया गया. जिससे परिवार भुखमरी के कगार पर आ गया. वो कहती हैं कि पति इस लायक नहीं हैं कि वे ज्यादा देर कोई काम कर सकें.

इधर, जिस घर में ये परिवार किराए पर रहता है, वे लोग बताते हैं कि पढ़ने खेलने की उम्र में प्रेम पर बढ़ी जिम्मेदारी है. वो बताते हैं कि प्रेम पढ़ना चाहता है. लेकिन प्रेम की मां का कहना है कि पहले वो भी चाय बेचने जाती थीं, लेकिन मेडिकल कॉलेज की सीढ़ियां चढ़ते उतरते उन्हें गंभीर बीमारियों ने घेर लिया. ऐसे में अब बेटा ही घर का खर्च उठाने को बाध्य है.

फिलहाल, प्रेम आठवीं कक्षा पास कर चुका है. लेकिन किताबों का इंतजाम न हो पाने की वजह से आगे नहीं पढ़ पा रहा है. जिस स्कूल में प्रेम पढ़ाई कर रहा है, उस स्कूल की प्रिंसिपल ने बताया कि परिवार की हालत ठीक नहीं है. कई बार तो प्रेम पढ़ाई छोड़कर घर के सदस्यों की फिक्र में चाय बेचने चला जाता है. वहीं, मामले के प्रकाश में आने के बाद राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष सुषमा सिंह ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों से बात की है कि जो भी संभव मदद होगी, वो किया जाएगा.

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