मेरठ: जिले के करीब 10,300 फ्रंट लाइन वर्कर्स ने कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज लेने से इनकार कर दिया है. जिले के 44 फीसदी ऐसे वर्कर हैं, जो पहली डोज के बाद निर्धारित समय पर दूसरी डोज लगवाने नहीं पहुंचे. ये हाल उन परिस्थितियों में है, जब देश भर में कोरोना मौत का तांडव कर रहा है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि लोग अफवाहों की वजह से वैक्सीन की दूसरी डोज लेने से कतरा रहे हैं. अब वैक्सीन लेने से इनकार करने वाले फ्रंट लाइन वर्कर्स की काउंसलिंग कर उनके पंजीकरण को कैंसिल किया जएगा.
वैक्सीन आने से कम हुआ खतरा
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. पीके गौतम ने बताया कि कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए जागरुकता फैलाने के लिए मेरठ के ग्रामीण क्षेत्रो में 73 और शहरी क्षेत्रों में 41 सेशन लगाए गए, लेकिन वैक्सीनेशन लगवाने को लेकर वो रुझान नहीं मिला, जो आना चाहिए. जब तक हम प्रतिरोधक टीका नहीं लगवाएंगे, तब तक किसी भी महामारी से नहीं बचा जा सकता. जिस वक्त प्रतिरोधक टीका आया था, उसी वक्त महामारी का खतरा कम हो गया था.
लक्ष्य के अनुरूप नहीं हुआ टीकाकरण
डॉ. पीके गौतम ने बताया कि भारत में कम समय में एक साथ दो वैक्सीन आई हैं. आम जनता को यह मानना पड़ेगा कि कोरोना वायरस कभी खत्म नहीं होगा. इससे बचने के लिए प्रतिरोधक टीका लगवाना ही एकमात्र समाधान है. उन्होंने बताया कि जनजागरण के बाद भी लक्ष्य के हिसाब से टीकाकरण नहीं हो पाया है. टीकाकरण का चौथा चरण चल रहा है, लेकिन लक्ष्य के अनुरूप टीकाकरण नहीं हुआ है. आम जनता के साथ ही अब फ्रंट लाइन वर्कर भी वैक्सीन लेने से बचते नजर आ रहे हैं, जो कि सही नहीं है.
इसे भी पढ़ें :लापरवाहीः बिना वैक्सीनेशन के ही जारी कर दिया सर्टिफिकेट
इतने हेल्थ वर्करों ने नहीं ली वैक्सीन
जिले के 23,500 फ्रंट लाइन और हेल्थ केयर वर्कर्स ने वैक्सीन की पहली डोज ली थी. जिन लोगों ने पहली डोज लगवाई थी, उन्हें निर्धारित समय पर दूसरी डोज लगवानी चाहिए थी, लेकिन दूसरी डोज केवल 60 प्रतिशत फ्रंट लाइन वर्कर्स ने ही लगवाई है. यानी कि 23,500 में से 10,300 ऐसे वर्कर हैं, जिन्होंने वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाने से मना कर दिया है. जबकि डॉक्टर, लैब टेक्नीशियन, वार्ड ब्वॉय, नर्स और स्वास्थ्य कर्मी इन दिनों सबसे ज्यादा रिस्क पर काम कर रहे हैं.