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10,300 फ्रंट लाइन वर्कर ने दूसरी डोज लेने से किया इनकार, जानिए क्यों

पूरे देश में कोरोना संक्रमण का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है, लोगों को कोरोना से बचाने के लिए लगातार वैक्सीनेशन किया जा रहा है. वहीं, मेरठ में फ्रंट लाइन वर्कर वैक्सीन लगवाने से इनकार कर रहे हैं. आलम यह है कि फ्रंट लाइन पर काम कर रहे हेल्थ वर्करों में भी दूसरी डोज लगवाने के लिए जागरूकता कमी देखी जा रही है.

जानकारी देते प्रतिरक्षण अधिकारी.
जानकारी देते प्रतिरक्षण अधिकारी.

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Published : Apr 25, 2021, 2:56 PM IST

मेरठ: जिले के करीब 10,300 फ्रंट लाइन वर्कर्स ने कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज लेने से इनकार कर दिया है. जिले के 44 फीसदी ऐसे वर्कर हैं, जो पहली डोज के बाद निर्धारित समय पर दूसरी डोज लगवाने नहीं पहुंचे. ये हाल उन परिस्थितियों में है, जब देश भर में कोरोना मौत का तांडव कर रहा है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि लोग अफवाहों की वजह से वैक्सीन की दूसरी डोज लेने से कतरा रहे हैं. अब वैक्सीन लेने से इनकार करने वाले फ्रंट लाइन वर्कर्स की काउंसलिंग कर उनके पंजीकरण को कैंसिल किया जएगा.

जानकारी देते प्रतिरक्षण अधिकारी.

वैक्सीन आने से कम हुआ खतरा
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. पीके गौतम ने बताया कि कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए जागरुकता फैलाने के लिए मेरठ के ग्रामीण क्षेत्रो में 73 और शहरी क्षेत्रों में 41 सेशन लगाए गए, लेकिन वैक्सीनेशन लगवाने को लेकर वो रुझान नहीं मिला, जो आना चाहिए. जब तक हम प्रतिरोधक टीका नहीं लगवाएंगे, तब तक किसी भी महामारी से नहीं बचा जा सकता. जिस वक्त प्रतिरोधक टीका आया था, उसी वक्त महामारी का खतरा कम हो गया था.

44 फीसदी वर्कर्स ने नहीं लगवाई दूसरी डोज.

लक्ष्य के अनुरूप नहीं हुआ टीकाकरण
डॉ. पीके गौतम ने बताया कि भारत में कम समय में एक साथ दो वैक्सीन आई हैं. आम जनता को यह मानना पड़ेगा कि कोरोना वायरस कभी खत्म नहीं होगा. इससे बचने के लिए प्रतिरोधक टीका लगवाना ही एकमात्र समाधान है. उन्होंने बताया कि जनजागरण के बाद भी लक्ष्य के हिसाब से टीकाकरण नहीं हो पाया है. टीकाकरण का चौथा चरण चल रहा है, लेकिन लक्ष्य के अनुरूप टीकाकरण नहीं हुआ है. आम जनता के साथ ही अब फ्रंट लाइन वर्कर भी वैक्सीन लेने से बचते नजर आ रहे हैं, जो कि सही नहीं है.

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इतने हेल्थ वर्करों ने नहीं ली वैक्सीन
जिले के 23,500 फ्रंट लाइन और हेल्थ केयर वर्कर्स ने वैक्सीन की पहली डोज ली थी. जिन लोगों ने पहली डोज लगवाई थी, उन्हें निर्धारित समय पर दूसरी डोज लगवानी चाहिए थी, लेकिन दूसरी डोज केवल 60 प्रतिशत फ्रंट लाइन वर्कर्स ने ही लगवाई है. यानी कि 23,500 में से 10,300 ऐसे वर्कर हैं, जिन्होंने वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाने से मना कर दिया है. जबकि डॉक्टर, लैब टेक्नीशियन, वार्ड ब्वॉय, नर्स और स्वास्थ्य कर्मी इन दिनों सबसे ज्यादा रिस्क पर काम कर रहे हैं.

पोर्टल से हट जाएंगे रजिस्ट्रेशन
डॉ. पीके गौतम ने बातया कि शुक्रवार को शासन की ओर से आदेश आया है कि जिन हेल्थ वर्करों का पहला या दूसरे चरण का टीकाकरण किया जाना है, उन्हें सूचित किया जाए. अगर ये लोग वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं तो 30 अप्रैल की आधी रात्रि के बाद उनके रजिस्ट्रेशन पोर्टल से हटा दिए जाएं.

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क्यों जरूरी है टीकाकरण
पीके गौतम का कहना है कि जिन लोगों ने कोरोना वैक्सीन लगवाई है, उन्हें अगर 12 दिन बाद भी कोरोना हुआ है तो किसी प्रकार का साइड इफेक्ट नहीं हुआ है. ऐसे में उनको वेंटिलेटर, आईसीयू, ऑक्सीजन पर जाने की जरूरत नहीं पड़ी, महज विटामिन और बुखार की दवा लेने के बाद 3-4 दिन के भीतर ही ऐसे मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो गए, इसलिए कोरोना वैक्सीन लगवानी जरूरी है. जब तक 80 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण नहीं होगा, हमारे अंदर हार्ड इम्यूनिटी नहीं आएगी.

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भ्रातियों के चलते नहीं ली बूस्टर डोज
उन्होंने बताया कि जो भी वैक्सीन आती है, उससे हल्का बुखार या शरीर में दर्द हो सकता है. ज्यादा बड़े साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसी भ्रांतियां फैला देते हैं कि वैक्सीन लगाने के बाद शरीर के अंदर क्लॉटिंग या ब्लीडिंग शुरू हो जाती है. ये अफवाह पूरी तरह निराधार है. भारत में बनाई गई दोनों वैक्सीन कोविशिल्ड और कोवैक्सीन दोनों सुरक्षित हैं.

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