उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

मऊ: मधुमक्खी पालन से लाखों की कमाई कर रहे इस गांव के युवा

उत्तर प्रदेश के मऊ में एक युवक खेती करने के साथ-साथ मधुमक्खी पालन कर रहा है, जिससे उसको साल में डेढ़ से दो लाख रुपए की बचत हो रही है. सरकार मधुमक्खी पालन करने लिए 40 प्रतिशत की सब्सिडी दे रही है.

By

Published : Jun 20, 2020, 2:36 PM IST

मधुमक्खी पालन से लाखों कमा रहे मऊ के युवा
मधुमक्खी पालन से लाखों कमा रहे मऊ के युवा

मऊ: कृषि में कम बचत और नुकसान के चलते युवाओं का रूझान कम होता जा रहा है. युवा रोजगार के लिए महानगरों की तरफ पलायन करने के लिए मजबूर होते हैं, लेकिन किसान खेती के साथ-साथ स्वरोजगार अपनाकर अपने गांव में ही खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकते हैं. मऊ जिले के चकरा गांव निवासी युवा किसान संदीप सिंह इसकी मिसाल हैं. इन्होंने खेती करने के साथ-साथ मधुमक्खी पालन किया है, जिससे यह साल में डेढ़ से दो लाख रुपए की बचत कर रहे हैं.

मधुमक्खी पालन से लाखों कमा रहे मऊ के युवा

शहद उत्पादन में है फायदा

संदीप सिंह गांव में ही 50 डिब्बों में मधुमक्खी पालन कर रहे हैं, जिससे प्रतिदिन शहद का उत्पादन होता है. शहद उत्पादन के लिए न कोई ज्यादा लागत खर्च होती है और न ही नुकसान का खतरा होता है. शुद्ध शहद होने के कारण लोग गांव में ही आकर खरीदारी कर लेते हैं, ऐसे में इनको मार्केटिंग की भी परेशानी नहीं होती है.

संदीप सिंह ने बताया कि खेती के साथ-साथ उन्होंने मुर्गी पालन किया था, जिसमें अक्सर नुकसान हो जाता था. ऐसे में उन्होंने 2018 में पांच डिब्बों से मधुमक्खी पालन की शुरुआत की. उन्हें इसमें फायदा दिखा तो संख्या बढ़ाकर 50 कर दी. संदीप ने बताया कि इसकी लागत खर्च प्रति डिब्बा 4 हजार रुपए है. ऐसे में उनके कुल 2 लाख रुपए खर्च हुए हैं. संदीप का कहना है कि ये डिब्बे जल्द खराब भी नहीं होते हैं.

नवम्बर से मार्च माह में शहद का होता है पीक सीजन

संदीप सिंह ने बताया कि मौसम अच्छा रहता है तो 50 डिब्बों से 6 कुंतल शहद का उत्पादन नवम्बर से मार्च तक हो जाता है. 300 रुपए किलो से शहद तो गांव में ही बिक जाता है. ऐसे में मात्र 5 महीने में ही 1 लाख 80 हजार की बचत हो जाती है. इन्होंने बताया कि इसी पांच महीने में अपने क्षेत्र में रसदार फूल खिलते हैं, जिससे शहद का उत्पादन होता है. एक डिब्बे से एक सप्ताह में 3 सौ ग्राम से लेकर 7 सौ ग्राम शहद का उत्पादन होता है.

इसमें कोई खर्च भी नहीं आता है. उन्होंने बताया कि रसदार फूल के लिए सूरजमुखी लगा दिया जाता है, जिससे दोहरा लाभ मिलता है, शहद का उत्पादन भी बढ़ जाता है और तेल के लिए सूरजमुखी का भी उत्पादन हो जाता है. संदीप ने बताया कि इन पांच महीने के अलावा जब फूल नहीं रहता है तो चीनी के सहारे मधुमक्खी को जीवित रखा जाता है. अगर शहद का उत्पादन करना है तो इनका स्थान बदलकर इनको फूल वाली जगह में ले जाना पड़ेगा.

सरकार दे रही है बढ़ावा

युवा कृषकों को खेती के साथ-साथ सहरोजगार के लिए सरकार भी बढ़ावा दे रही है, जिसमें मधुमक्खी पालन करने लिए 40 प्रतिशत की सब्सिडी मिल रही है. जिला उद्यान अधिकारी सुभाष कुमार ने बताया की युवा किसानों को खेती के साथ साथ सहरोजगार के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास रोजना के तरत जिले में 50 डिब्बे की मौन पालन के लिए कृषकों को 40 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है. जिले में एक युवा कृषक इस योजना के तरह शहद उत्पादन कर रहे हैं. किसान खेती के साथ-साथ उद्यान के माध्यम से गांव में ही रहकर बेहतर जीवन जी सकते हैं. सरकार समय-समय पर विभिन्न योजनाएं लाती रहती है, जिससे खेती के साथ सहरोजगार मिलता रहे. इस समय जिले में उद्यान विभाग के द्वारा बागवानी, केले की खेती, माली की ट्रेनिंग और मौन पालन के लिए सब्सिडी दी जा रही है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details