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मऊ: लॉकडाउन बना अवसर, शिक्षक ने बदल दी सरकारी स्कूल की तस्वीर

मऊ जिले के उच्च प्राथमिक विद्यालय इटौरा डोरीपुर के अध्यापक रूपेश पांडेय ने लॉकडाउन में विद्यालय की तस्वीर बदल दी है. यहां बच्चों के बैठने के लिए पहले उचित व्यवस्था नहीं थी. अब क्लास रूम में बेहतर क्वालिटी के डेस्क, बेंच लगा दिए गए हैं. इतना ही नहीं, क्लासरूम की दीवारों पर पाठ्यक्रम से जुड़े टीएलएम बनाए गए हैं जिससे बच्चे सरलता से सीख सकें.

बदल गई सरकारी स्कूल की तस्वीर.
बदल गई सरकारी स्कूल की तस्वीर.

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Published : Sep 5, 2020, 12:37 PM IST

मऊ: कोविड-19 बीमारी की वजह से लागू किए गए लॉकडाउन के चलते आवश्यक जरूरतों को छोड़ सभी सेवाएं बन्द हो गईं. परिवहन सेवा और स्कूल भी इनमें शामिल थे. इससे लोगों को जहां परेशानियां झेलनी पड़ीं, वहीं घर बैठे समय काटना मुश्किल हो गया. इन सबसे अलग मऊ जिले के उच्च प्राथमिक विद्यालय इटौरा डोरीपुर के अध्यापक रूपेश पांडेय ने लॉकडाउन में घर बैठे-बैठे विद्यालय की तस्वीर बदलने का निर्णय लिया. उन्होंने अनलॉक के दौरान अपने विचार को मूर्त रूप देकर सरकारी स्कूल की तस्वीर बदल दी. कुछ दिनों पहले तक जो स्कूल बदहाल पड़ा था, आज उसने जिले के सुंदर स्कूलों में अपना स्थान बना लिया है.

बदल गई सरकारी स्कूल की तस्वीर.

खास बातें:-

  • बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ अच्छा माहौल देने के लिए लॉकडाउन में शिक्षक रुपेश पांडेय ने पहल की.
  • उच्च प्राथमिक विद्यालय इटौरा डोरीपुर में डेढ़ वर्ष पहले अध्यापक रूपेश पांडेय की पोस्टिंग हुई थी.
  • विद्यालय के क्लास रूम में बेहतर क्वालिटी का डेस्क, बेंच लगाया गया है.
  • क्लासरूम की दीवारों पर पाठ्यक्रम से जुड़े टीएलएम बनाए गए हैं.


लॉकडाउन से पहले थी बदहाल तस्वीर

जनपद मऊ के घोसी शिक्षाखण्ड के उच्च प्राथमिक विद्यालय का कुछ दिन पहले बुरा हाल था. पहले इस विद्यालय के बरामदे की फर्श टूटी पड़ी थी. बारिश का पानी दीवारों से रिसता था. दीवारों का अपना रंग गायब होकर काला पड़ गया था किसी को खबर नहीं थी. इतना ही नहीं उच्च प्राथमिक विद्यालय का कार्यालय कबाड़ रूम में तब्दील हो गया था. लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है. आज यहां चमकता हुआ साफ सुथरा टाइल्स लगा फर्श है, दीवारों पर रंग बिरंगी पेंटिंग सजी हुई है.

स्कूल में खेलते बच्चे.

बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ मिले अच्छा माहौल
उच्च प्राथमिक विद्यालय के इस कायाकल्प को लेकर शिक्षक रूपेश ने बताया कि गरीब परिवार के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले इस उद्देश्य के चलते मैंने स्वयं के पैसे और कायाकल्प योजना के सहयोग से विद्यालय का विकास करने का निश्चय किया. पहले स्कूल बंद होने पर गांव के नशेड़ियों का अड्डा होता था लेकिन अब यहां बच्चे खेलते हैं. विद्यालय का परिसर किसी भी तरह से कॉन्वेंट स्कूल से कम नहीं है, बल्कि आगे ही है.

जागरूकता का संदेश देती स्कूल की दीवारें.

अनलॉक होते ही शुरू हुआ विद्यालय के सौंदर्यीकरण का काम
शिक्षक रूपेश ने बताया कि इस विद्यालय में मेरी पोस्टिंग डेढ़ वर्ष पहले हुई थी. उस समय हेड मास्टर के चार्ज में स्कूल था तो मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता था. लेकिन मार्च के महीने में जब वह रिटायर हुए तो चार्ज मुझे मिल गया. इस दौरान कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन के चलते स्कूल बंद हो गया. लॉकडाउन के दौरान घर बैठे-बैठे मैंने विद्यालय में कराए जाने वाले कामों की पूरी योजना बनाई. इसके बाद जैसे ही अनलॉक हुआ मैंने विद्यालय के सौंदर्यीकरण का काम प्रारंभ कर दिया. इस समय विद्यालय का स्वरूप पूरी तरह से बदल गया है. आजकल स्कूल तो समय से खुलता है लेकिन कोरोना के चलते बच्चों के आने पर रोक है. हालांकि इसके बावजूद स्कूल की सफाई और सुंदरता के चलते पास के बच्चे दोपहर में आकर यहीं खेलते हैं. इतना ही नहीं, पाठ्यक्रम से जुड़ी जानकारी भी मुझसे पूछ लेते हैं.

उच्च प्राथमिक विद्यालय इटौंरा डोरीपुर


विद्यालय की बदली तस्वीर के बारे में पूछने पर कक्षा आठ में पढ़ने वाली छात्रा पूजा ने बताया कि पहले विद्यालय टूटा-फूटा था. यहां पर बैठने में भी परेशानी होती थी लेकिन लॉकडाउन में सर ने पूरे विद्यालय का स्वरूप ही बदल दिया. अब स्कूल में जहां लाइट, पंखा की व्यवस्था हो गई है तो वहीं फर्श पर टाइल्स लग गए हैं. हम लोग इस समय दोपहर में बैठ कर खेलते हैं.

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