मऊ: जिले के विकासखंड कोपागंज के धेकवारा गांव की 14 वर्षीय रानी यादव गांव के बगीचे में तड़के और देर शाम दौड़ लगाती हैं. सुनसान बगीचे में रानी अकेले दौड़ न लगाएं, इसलिए उसके माता-पिता भी उसके साथ बगीचे में मौजूद रहते हैं. इस दौरान वह गांवों में बेटियों के प्रति जो मिथक है, उसे भी तोड़ रही हैं,. रानी नेशनल स्कूल गेम 2019 प्रतियोगिता में भाग ले चुकी हैं. प्रदेश में दो बार सोने का पदक अपने नाम कर चुकी रानी यादव गांव की पगडंडियों से अंतर्राष्ट्रीय उड़ान का सपना संजोए भाग रही हैं.
गांव के बगीचे में दौड़ की प्रैक्टिस करती हैं रानी रानी के जन्म पर परिवार वालों ने मां को घर से निकाल दिया था
रानी जिस गांव में रहती है, वहां अगर लड़की दौड़ लगाती है तो यह एक आश्चर्य है. गांव के लोग लोग रानी के मां-बाप को ताने मारते हैं. रानी की मां पुष्पा ने बताया कि "रानी के पापा से गांव वाले कहते हैं कि बेटी से दौड़ लगवा रहें हैं. बेटे को दौड़ाते और उस पर मेहनत करते तो वह उनका सहारा बनता. बेटी को बाहर भेजकर उसे बिगाड़ रहे हैं. रानी की मां ने कहा कि इन सब बातों पर वे लोग ध्यान नहीं देते. सोचते हैं कि रानी अगर दौड़ रही है, बड़ा सपना देख रही है तो हम लोग इसके लिए जो होगा करेंगे. जब रानी पैदा हुई तो यह मेरी चौथी बेटी थी. परिवार वालों ने मुझे घर से मायके यह बोलकर भेज दिया कि यह केवल बेटी पैदा करती है. तीन साल मायके में रही तब न जाने कैसे रानी के पापा का विचार बदला और वो उन्हें गांव वापस ले आए. अब रानी के सपनों को पूरा करने के लिए वे दोनों मेहनत कर रहें हैं."
रानी की प्रतिभा को शिक्षिका ने पहचाना
कोपागंज विकासखंड के पूर्व माध्यमिक विद्यालय भदसा मानोपुर की शिक्षिका आभा त्रिपाठी ने बताया कि "रानी यादव ने 2017 में हमारे स्कूल में प्रवेश लिया. जब स्कूल में बच्चे खेल रहें थे उसी दौरान रानी की दौड़ पर मेरी नजर गई. तब मैंने रानी के घर जाकर इसके परिजनों मुलाकात की. मैंने रानी के माता-पिता से कहा कि रानी पर ध्यान दीजिए यह अच्छा दौड़ती है, इसके खानपान सहित इसको दौड़ने के लिए समय दीजिए. साथ ही मैंने कहा कि किसी भी प्रकार की आर्थिक चिंता नहीं करनी. इन सबके लिए मैं हूं"
यूट्यूब के माध्यम से सिखाया दौड़ का तरीका
शिक्षिका आभा ने बताया कि "जब रानी के परिजनों का साथ मिला तो मैंने तय कर लिया अब रानी के लिए कुछ तो करना है. मैं खेल से सम्बंधित टीचर नहीं हूं. इसके बावजूद यूट्यूब के माध्यम से नामचीन खिलाड़ियों के वीडियो दिखा कर मैं रानी को दौड़ के टिप्स देने लगी. स्कूल के ग्राउंड में दौड़ने के साथ-साथ रानी ने गांव के बगीचे में प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया. स्कूली प्रतियोगिता में रानी 100 मीटर और 200 मीटर में सबको पीछे छोड़ने लगी. सिलसिला आगे बढ़ा रानी ब्लॉक, जिला और मंडल पर प्रथम स्थान लाने के साथ राज्य स्तर पर पहुंच गई. राज्य स्तर पर 2018 में सिल्वर और 2019 में गोल्ड लाई. रानी ने 2019-20 राष्ट्रीय स्कूली खेल प्रतियोगिता अंडर 14 में भाग लिया और चौथा स्थान लाई. रानी 100 मीटर की रेस 13.5 से. और 200 मीटर की रेस 28 सेकेंड में पूरी करती है.
इन समस्याओं का करना पड़ा सामना
आभा बताती है कि "यहां तक का सफर तय करना रानी और मेरे लिए आसान नहीं था. इन सब के बीच कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ा. पहले समाज से तो दूसरी प्रतियोगिता में पक्षपात से. मैं सबसे लड़ी और रानी दिल से दौड़ी उसका परिणाम सुखद रहा. अब रानी को देश के लिए दौड़ना है."
देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने का है सपना
धावक रानी बताती हैं कि "मम्मी-पापा और मैडम के सहयोग से मैं मेहनत करती हूं. जो सपने मैं देख रहीं हूं, उसको पुरा करने के लिए घर वाले ग़रीबी में ही जितना हो सकता है कर रहें हैं. मेरा सपना देश के लिए दौड़ लगाना है और मैं इसे पूरा करूंगी." रानी विषम परिस्थितियों में भी अपने सपनों को पूरा करने के लिए समाज से लड़ते हुए आगे बढ़ रही हैं. वहीं संदेश दे रही हैं कि समाज आपको पीछे खींचेगा, लेकिन इसमें से कुछ आपके साथ खड़े रहेंगे, आपको अपनी मंजिल तय करना ही है.