मऊ: सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) के बागी महेंद्र राजभर ने नई पार्टी के गठन का ऐलान कर दिया है. महेंद्र राजभर ने सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी के नाम से नया संगठन बनाया है. गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों से सुभासपा में चल रहे आंतरिक गतिरोध के बीच महेंद्र राजभर ने इस्तीफा दे दिया था. सुभासपा के तमाम बड़े नेता और सैकड़ों कार्यकर्ता भी उनके साथ जुड़ गए थे. जिसके बाद मंगलवार को उन्होंने नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है.
सुभासपा के बागी महेंद्र राजभर ने बनाई सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी
12:49 September 27
सुभासपा के बागी महेंद्र राजभर ने बनाई सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी
मालूम हो कि महेंद्र राजभर सुभासपा में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. बीते 5 सितंबर को महेंद्र राजभर ने अपने 30 कार्यकर्ताओं के साथ मीडिया के सामने ओपी राजभर की पार्टी की टोपी उतारकर इस्तीफा दे दिया था. इस दौरान महेंद्र राजभर ने पार्टी की नीतियों से भटक जाने का ओमप्रकाश राजभर पर आरोप मढ़ा था. उन्होंने यह भी कहा था कि ओमप्रकाश राजभर परिवारवाद की राह में आगे बढ़ रहे हैं. वो राजभरों की कमाई और मेहनत पर पानी फेर रहे हैं. महेंद्र राजभर के इस्तीफे के बाद जिले में अलग-अलग स्थानों पर सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने पार्टी से इस्तीफा दिया था.
इस तमाम राजनीतिक उठापटक के बाद कार्यकर्ताओं की मंत्रणा से मंगलवार को महेंद्र राजभर ने नई पार्टी के गठन का ऐलान कर दिया. उन्होंने सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी के नाम से नई पार्टी बनाई है. पार्टी के ऐलान के लिए गाजीपुर तिराहे पर एक प्लाजा में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. लेकिन कार्यक्रम के लिए प्रशासन से अनुमति नहीं मिली तो सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचकर उन्होंने पार्टी की घोषणा की.
प्रशासन से अनुमति न मिलने पर भी महेंद्र राजभर ने सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को आड़े हाथों लिया. उन्होंने आरोप लगाया कि ओपी राजभर के दबाव में सिटी मजिस्ट्रेट और सीओ सिटी ने नए संगठन के गठन को लेकर अनुमति नहीं दी. महेंद्र राजभर ने दावा किया कि सुभासपा के प्रदेश स्तर के कई कार्यकर्ता उनकी पार्टी का दामन थामने वाले हैं. इसके चलते ओपी राजभर ने कार्यक्रम को स्थगित करने की चाल चली है. उन्होंने कहा कि ओमप्रकाश राजभर की जमीन खिसक रही है. वो अपने मुद्दों से भटक गए हैं.
यह भी पढ़ें-राजस्थान में विधायकों की बगावत पर बोले प्रमोद तिवारी, लोकतंत्र के लिए बड़ा संकेत