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घोसी उपचुनाव : भाजपा और सपा में टक्कर, बसपा ने बनाई दूरी, जानिए क्या हैं सीट के जातीय समीकरण - घोसी उपचुनाव के जातीय समीकरण

मऊ की घोसी विधानसभा सीट रिक्त हो गई है. अगले महीने इस सीट पर उप चुनाव (Ghosi By Election 2023) होना है. भाजपा और सपा में कड़ी टक्कर होगी. प्रत्याशी वोटरों को रिझाने में जुट गए हैं. घोसी में दलित और मुस्लिम वोटरों की संख्या ज्यादा है.

भाजपा और सपा में होगा मुकाबला.
भाजपा और सपा में होगा मुकाबला.

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Published : Aug 18, 2023, 4:43 PM IST

मऊ :जिले की घोसी विधानसभा सीट पर उप चुनाव होना है. सीट से मौजूदा विधायक दारा सिंह चौहान के इस्तीफे के बाद यहां उप चुनाव कराया जा रहा है. 5 सितंबर को यहां उप चुनाव होना है. मतगणना 8 सितंबर को होगी. इस सीट से बसपा ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है. भाजपा से दारा सिंह चौहान मैदान में हैं जबकि सपा से सुधाकर सिंह ताल ठोंक रहे हैं. माना जाता है कि इस सीट पर दलित मतदाताओं का झुकाव तय करता है कि किसके सिर पर जीत का सेहरा सजेगा. फिलहाल दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों ने पूरी ताकत झोंक दी है.

जिले में हैं चार विधानसभा सीटें :जिले में कुल चार विधानसभा सीटें हैं. इनमें सदर, मोहम्मदाबाद गोहाना( सुरक्षित ),मधुबन और घोसी विधानसभा हैं. घोसी में 430370 मतदाता हैं. इनमें 231536 पुरुष जबकि 198825 महिला मतदाता हैं. मतदेय स्थल की संख्या 455 है. मतदान केंद्र 239 हैं. जेंडर रेसियो 858 है, जबकि ईपी रेशियो (electoral participation) 61.28 है. उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार दारा सिंह चौहान हैं. समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सुधाकर सिंह मैदान में हैं. दिलचस्प बात यह है कि बहुजन समाजवादी पार्टी ने चुनाव न लड़ने का फैसला किया है. बसपा की दावेदारी न होने से दलित वोट बैंक पर दोनों दलों की निगाहें हैं. दलित चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.

भाजपा और सपा में होगा मुकाबला.

जातिवार वोटरों की संख्या :मुस्लिम मतदाता लगभग 86,000, दलित मतदाता लगभग 71,000, राजभर मतदाता 52,000, यादव मतदाता 56,000, चौहान मतदाता 46,000, क्षत्रिय मतदाता 16,000, निषाद मतदाता 13,500, मौर्या / कुशवाहा मतदाता 10,000, भूमिहार मतदाता 9,000, ब्राह्मण मतदाता 8,000, वैश्य /साहू /राठौर 15,000, विश्वकर्मा 6,500, धोबी सोनकर खटीक 10,000, शेष अन्य. इससे पहले भी घोसी विधानसभा सीट पर 2019 में उपचुनाव हुए थे, तब इस सीट से तत्कालीन भाजपा विधायक फागू चौहान को बिहार का राज्यपाल बना दिया गया था. इसके बाद उपचुनाव में भाजपा के ही विजय राजभर ने जीत हासिल की थी. यह सीट एक बार फिर भाजपा के झोली में चली गई थी. उस समय दारा सिंह चौहान भाजपा में थे. उन्होंने मधुबन विधानसभा सीट से चुनाव जीता था. तत्कालीन सरकार में मंत्री भी बने थे. 2022 के चुनाव घोषणा के बाद उन्होंने पाला बदलते हुए सपा ज्वाइन कर लिया था. सपा की सीट से उन्होंने घोसी विधानसभा का चुनाव जीत लिया.

दोनों दलों की प्रतिष्ठा दांव पर :दारा सिंह चौहान एक मंझे हुए नेता हैं. वह लगातार सत्ता के करीब रहे हैं. उनके बारे में मशहूर है कि जिस दल की सरकार होती है वह उसी दल में शामिल हो जाते हैं. यही वजह है कि 2022 में प्रदेश में भाजपा के प्रचंड बहुमत और सरकार बनने के बाद दारा सिंह चौहान सपा से विधानसभा चुनाव जीतने के बावजूद सपा के करीब नहीं आ पाए. अंततः लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले वह भाजपा में शामिल हो गए. इसके बाद इस सीट पर उप चुनाव हो रहा है. राजनीतिक पंडितों की माने तो बसपा का चुनाव न लड़ना भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकता है. बड़ी संख्या में दलित मतदाता जिसके पक्ष में वोट करेंगे, फसे सिर जीत का सेहरा बंधने की आशंका है. यह सीट 2024 लोकसभा चुनाव के लिए दोनों दलों के लिए लिटमस टेस्ट के जैसा है. दोनों दलों की प्रतिष्ठा दांव पर है.

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