मऊ: कोरोना वायरस की दोहरी मार बुनकरों पर पड़ रही है. लॉकडाउन के कारण लूम बन्द होने से हजारों लोगों के रोजगार छिन गए हैं तो सैकड़ों भुखमरी के कगार पर आ गए हैं. वहीं लॉकडाउन दो सप्ताह और बढ़ जाने से बुनकरों को रोटी की चिंता सता रही है.
80 प्रतिशत जनता हुई प्रभावित
मऊ पूर्वांचल का बुनकर हब है. जिले की दो लाख जनसंख्या हथकरघा उद्योग से जुड़ी है. सामान्य दिनों में हर घर से लूम की खटर पटर की आवाज यह बताने के लिए काफी है कि 80 प्रतिशत जनता का जीविकोपार्जन बुनाई के ताने बाने से जुड़ा है, लेकिन लॉकडाउन के चलते लूम का खटर पटर बन्द हो गया है. गलियां सूनी हैं. मोहल्ले के किसी एक-दो घर से खटर पटर की आवाज सुनाई पड़ जाती है, लेकिन लॉकडाउन के चलते 90 प्रतिशत लूम बन्द हैं.
लूम बन्द होने से जहां व्यापारियों को नुकसान हो रहा है. वहीं जो मजदूर साड़ी की बुनाई कर रोटी रोजी चलाते थे, उनका रोजगार छिन गया है, जिससे वह भुखमरी की कगार पर आ गए हैं.
बाहर से आकर काम करने वालों की स्थिति दयनीय
जनपद में बुनाई उद्योग रोजगार का बड़ा स्रोत है. यहां आसपास के जिलों के अलावा बिहार और बंगाल से भी कामगार साड़ी की बुनाई करने के लिए आते हैं. बुनाई कर ये अपने परिवार का जीविकोपार्जन करते हैं, लेकिन लॉकडाउन में लूम बन्द होने से अब इनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है.