मऊ: देशभर में लॉकडाउन से सारे कामकाज ठप पड़े हैं. रेल के पहिये एक जगह रुके हैं तो बसें सड़कों पर फर्राटे नहीं भर रही हैं. ऐसे में अन्य राज्यों में रोजगार की तलाश में गए लोग वापस अपने घर लौट रहे हैं. कोई साधन न मिलने पर लोग पैदल ही चल पड़े हैं. हरिद्वार से पैदल चलकर नेपाल जा रहे पांच युवक गुरुवार की शाम मऊ पहुंचे. युवकों ने 6 दिनों में 750 किमी की दूरी तय की. युवकों के पांव सूज गए हैं, लेकिन हौसले हैं कि घर जाने को बेताब हैं.
उत्तराखंड में युवकों को नहीं मिली कोई सहायता. 6 दिन में तय की 750 किमी की दूरी
उत्तराखंड के हरिद्वार में एक होटल में काम करने वाले इन 5 युवकों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण अब काम-धंधा नहीं बचा है, जिस कारण वह लोग अपने घर नेपाल जा रहे हैं. युवकों ने बताया कि जिस होटल में वह काम करते थे, उसके मालिक ने लॉकडाउन के बाद 10 दिन तक खाना खिलाया, लेकिन बाद में उसने भी मना कर दिया. युवकों ने बताया कि उनके पास पैसा भी नहीं बचा था और उत्तराखंड सरकार द्वारा कोई सहायता नहीं मिल रही थी. ऐसे में हम लोगों को घर जाना ही ज्यादा ठीक लगा.
उत्तराखंड में नहीं मिली कोई सहायता
युवक राज ने बताया कि जब हम लोगों को उत्तराखंड में कोई सहायता नहीं मिली तो हम लोग हरिद्वार से पैदल ही निकल लिए. राज ने बताया कि यहां तो लोग रास्ते में खाना भी खिला दे रहे हैं, लेकिन उत्तराखंड में कोई सहायता नहीं दे रहा था. रास्ते में तीन बार ट्रक वाले बैठाकर थोड़ी-थोड़ी दूर तक लेकर लाए, उसके बाद हम लोग पैदल ही सफर तय कर रहे हैं. वहीं युवकों को आस है कि वह किसी तरह गोरखपुर से नेपाल बार्डर पर पहुंच जाएंगे तो वहां से नेपाल सरकार घर छोड़ देगी.
नहीं हुई युवकों की स्क्रीनिंग
नेपाल के चित्तौन के रहने वाले इन युवकों में से एक युवक ही हिंदी बोल और समझ पा रहा है. ऐसे में ये रास्ता भी भटक जा रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि ये उत्तराखंड से चलकर उत्तर प्रदेश के मऊ तक 750 किमी दूरी तय करके आ गए हैं, लेकिन प्रशासनिक सहायता तो दूर की बात है इन लोगों की स्क्रीनिंग तक नहीं की गई है, जबकि जिले में किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर उसकी स्क्रीनिंग करने के निर्देश हैं, जिससे कोरोना वायरस के संक्रमित संदिग्ध का पता लग सके.