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मऊ: बैंककर्मियों की लापरवाही से परेशान खाताधारक, 18 हजार खाते होल्ड - बैंकों का विलय

आरबीआई ने 1 अप्रैल को 10 बैंकों का विलय 4 बैंकों में किया था. अब विलय होने के बाद जनपद के कई बैंक खाताधारकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. यहां बैंक विलय होने से 18 हजार खाते होल्ड हो गए हैं.

18000 bank accouts got hold of allahbad bank in mau
बैंक कर्मियों की लापरवाही से परेशान खाताधारक

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Published : Jun 23, 2020, 5:22 PM IST

मऊ: भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 1 अप्रैल को 10 बैंकों का विलय 4 बैंकों में किया गया, जिसके बाद से ग्राहकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मामला मऊ जिले के काझा गांव स्थित इलाहाबाद बैंक की शाखा का है, जिसका विलय इंडियन बैंक में हो चुका है. बताया जा रहा है कि बैंक विलय होने के बाद से 18 हजार खाते होल्ड कर दिए गए हैं, जिन्हें चालू कराने के लिए अब बैंक KYC फार्म भरने को कह रहा है, जिसके साथ आधार कार्ड और जन्मतिथि के सत्यापन के लिए कागजात जमा करने होंगे.

बैंककर्मियों की लापरवाही से परेशान खाताधारक.

लोग यहां दो महीने से बैंक खाता चालू कराने के लिए परेशान हैं, लेकिन बैंक की लचर व्यवस्था की वजह से ग्राहक परेशान हैं. जब इस बारे में बैंक मैनेजर अंकित अग्रवाल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बैंक मर्ज होने से कोई परेशानी नहीं है, जिनका खाता आधार कार्ड से नहीं जुड़ा है, वही होल्ड हैं. ऐसा भी नहीं है कि काम में कोई लापरवाही की जा रही है. बैंक मैनेजर ने बताया कि लोगों में जागरूकता की कमी है. बैंक द्वारा लगातार ग्राहकों की समस्या दूर करने का प्रयास किया जा रहा है.

जब देश में कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए लॉकडाउन किया गया तो लोगों का रोजगार चला गया. देश आर्थिक संकट से जूझने लगा. ऐसे में लोगों को राहत देने के लिए सरकार जरूरतमंदों के खाते में सीधे पैसे डाल रही है, ताकि संकट के समय तत्काल राहत मिल सके, लेकिन सरकार की इन कोशिशों का क्या फायदा जब लोगों के खाते ही होल्ड हो जाएंगे.

बैंक के विलय के बाद अधिकांश खाते तो स्वतः काम करने लगे, लेकिन 18,000 ग्राहकों के खाते होल्ड हो गए. लोग अपने ही पैसों के लिए परेशान हैं. दो महीने से लोग बैंक का चक्कर काट रहे हैं. खाताधारक मोतीचंद ने बताया कि वे दो महीने से बैंक का चक्कर लगा रहे हैं, KYC फार्म जमा करने के बावजूद भी अभी तक खाता नहीं खुला. खाता होल्ड होने से लोग परेशान हैं. खेती-किसानी का समय आ गया है, ऐसे में किसान को बैंक की जरूरत पड़ती है, लेकिन हालात यह हैं कि बैंकों की लचर व्यवस्था से लोगों में निराशा और हताशा छा गई है.

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