मथुरा: कृष्ण की नगरी में यमुना नदी उफान पर है. हर रोज हथिनी कुंड बैराज से लाखों क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है. जिसके चलते यमुना नदी खतरे के निशान को पार कर चुकी है.जिससे देहात क्षेत्रों से शहरी क्षेत्र में भी यमुना नदी का पानी भरने लगा है. रविवार को वृंदावन के केसी घाट को पार करके परिक्रमा मार्ग में पानी पहुंच गया. तो वहीं, मथुरा शहर के विश्राम घाट यमुना मंदिर को पार करके पानी मुख्य सड़कों पर पहुंचने लगा है.
रविवार को बढ़ा यमुना नदी का जलस्तर: शनिवार की देर शाम को ही यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया. जिससे देहात क्षेत्रों में सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न हो गई. संपर्क मार्ग में पानी भर चुका है, तो वहीं शहरी क्षेत्रों में भी यमुना नदी के किनारे बसी कॉलोनी में पानी घुस चुका है. जिला प्रशासन द्वारा कॉलोनी में रह रहे लोगों को सुरक्षित और शिविर कैंप में भेजने की कवायद शुरू कर दी गई है. जनपद में दो हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. तो वहीं, एनडीआरएफ और नगर निगम की टीम बाढ़ क्षेत्रों का दौरा करके लोगों को सुरक्षित निकाल रही है.
वृंदावन के परिक्रमा मार्ग में पहुंचा पानी:रविवार की सुबह यमुना नदी का पानी वृंदावन के परिक्रमा स्थल चीर घाट को पार करता हुआ काली देह स्थल परिक्रमा मार्ग में पहुंच गया. रोड पर करीब 3 से 4 फीट पानी भर चुका है. तो वहीं लोगों का कहना है कि प्राचीन काल में यमुना नदी काली देह तक हुआ करती थी. लेकिन आज यमुना नदी का असली स्वरूप देखने को मिल रहा है. रविवार की शाम तक इलाके में और पानी बढ़ने की संभावना जताई जा रही है.
एनडीआरएफ की कई टीमें कर रही काम:जिला प्रशासन द्वारा बाढ़ क्षेत्रों का दौरा करते हुए एनडीआरएफ और नगर निगम की संयुक्त टीम द्वारा बाढ़ क्षेत्रों में रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने की कवायद शुरू कर दी गई है. लोग अपना जरूरत का सामान लेकर अपने घरों को छोड़ कर निकल रहे हैं. नगर निगम द्वारा दर्जनों की संख्या में ट्रैक्टरों के द्वारा लोगों को बाढ़ क्षेत्रों से निकाल कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है.
1978 में आई बाढ़ याद आई लोगों को:पिछले कई दिनों से मैदानी इलाकों में हो रही मूसलाधार बारिश और हथिनी कुंड बैराज से छोड़ा जा रहा पानी को लेकर यमुना नदी विशाल रूप धारण कर उफान पर है. ब्रज वासियों को एक बार फिर 1978 में आई भयानक बाढ़ की तस्वीर याद आने लगी है. लोगों का कहना है कि 1978 में शहर के चौक बाजार, छत्ता बाजार, विश्राम घाट इलाके में नाव चल गई थी और लोगों का आवागमन नाव के द्वारा हुआ था. उसी का रूप फिर से देखने को मिल रहा है. क्योंकि यमुना नदी का जल हर 3 घंटे के अंतराल में बढ़ रहा है.