मथुरा: प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में महिला कल्याण बोर्ड द्वारा वृंदावन के चैतन्य विहार स्थित महिला आश्रय सदन में विधवा माताएं मंदिरों में चढ़े हुए खराब फूलों से होली के लिए गुलाल और गर्मी के मौसम में अगरबत्ती और फेस वॉश पाउडर तैयार कर रही हैं. आश्रय सदन में तैयार की गई अगरबत्तियां प्रदेश के कई जिलों में सप्लाई की जाती हैं. इससे सैकड़ों की संख्या में महिलाओं को रोजगार मिला तो वहीं प्रतिदिन के हिसाब से 50 रुपये की आमदनी हो रही है.
महिला आश्रय सदन में माताओं को मिला रोजगार
वृंदावन के चैतन्य विहार स्थित महिला आश्रय सदन में सैकड़ों महिलाओं को रोजगार के रूप में अगरबत्ती बनाते हुए देखा जा रहा है. वृंदावन के मंदिरों में ठाकुर जी के उतरे हुए फूलों से महिलाएं होली के लिए गुलाल, नेचुरल सुगंधित अगरबत्तियां और फेस वॉश पाउडर तैयार कर रही हैं. इससे आश्रय सदन में सैकड़ों की संख्या में महिलाओं को रोजगार मिला है तो वहीं आमदनी का एक जरिया भी बना है. प्रतिदिन के हिसाब से महीने में 1500 रुपये महिलाएं कमा लेती हैं.
मंदिरों में चढ़े फूलों की बनी अगरबत्ती घरों में बिखेर रही सुगंध. फागुन में तैयार होता है रंग-बिरंगा सुगंधित गुलाल
गर्मी के मौसम में सर्दी का एहसास कराने के लिए ब्रज के मंदिरों में ठाकुर जी के लिए रंग-बिरंगे फूलों से फूल बंगला सजाया जाता है, जिसमें क्विंटल की तादाद में गुलाब, गेंदा बेला और अशोक की फूल-पत्तियां लगाई जाती हैं. दूसरे दिन वहीं फूल जब मुरझा जाते हैं तो मंदिर प्रशासन द्वारा उन खराब फूलों को महिला आश्रय सदन भेज दिया जाता है. वहां विधवा माताएं उन फूलों को अलग-अलग करके नेचुरल सुगंधित अगरबत्ती और धूप बत्ती तैयार करती हैं. महिला आश्रय सदन में फागुन के महीने में माताएं गुलाब की पत्तियों से रंग-बिरंगा सुगंधित नेचुरल गुलाल तैयार करती हैं. आश्रय सदन में बना हुआ गुलाल प्रदेश के कई जिलों में सप्लाई किया जाता है. ब्रज में होली के महोत्सव को लेकर माताएं काफी मात्रा में गुलाल तैयार करती हैं.
विधवा माताओं को मिला रोजगार
जब अपने लोगों ने इन विधवा महिलाओं को घर से बेघर कर दिया तो अकेला रहने को मजबूर इन विधवा महिलाओं को रहने के लिए सरकार द्वारा महिला आश्रय सदन का निर्माण कराया गया. वृंदावन के चेतन विहार स्थित महिला आश्रय सदन में सैकड़ों की संख्या में माताएं रह रही हैं. महिला कल्याण बोर्ड द्वारा आश्रय सदन की देख-रेख की जाती है. यह माताएं अब किसी के सामने हाथ नहीं फैलातीं बल्कि काम करने के बाद जो पैसे मिलते हैं, उससे अपना खर्चा चलाती हैं. हर महीने 1500 रुपये ये माताएं कमा लेती हैं.
12 महीने मिलता है रोजगार
माता जानकी दासी ने बताया कि वह लोग खराब फूलों से अगरबत्ती और होली के सीजन में सुगंधित गुलाल तयार करती हैं. 12 महीने यहां रोजगार मिलता है. काम के बदले में उनकी कुछ आमदनी हो जाती है. जिस प्रकार हम लोग ठाकुर जी के भजन में ध्यान लगाते हैं, उसी तरह काम करने में भी मन लगाते हैं. वहीं माता अनुपमा मुखर्जी ने बताया कि सबसे पहले मंदिर से जो खराब फूल आते हैं, उन फूलों को अलग-अलग एकत्रित किया जाता है. उसके बाद फूलों को सुखाने के लिए मशीन में रखा जाता है. फिर उसे गीला करने के बाद गोल-गोल लड्डू बना लिया जाता है. सभी माताएं एक स्थान पर बैठकर सुगंधित नेचुरल अगरबत्ती तैयार करती हैं. उसके बाद अगरबत्तियों को धूप में सुखाया जाता है. बाद में पैकेट में पैक करके रख दिया जाता है.
प्रदेश के कई जिलों में सप्लाई की जाती हैं अगरबत्तियां
महिला आश्रय सदन के प्रबंधक विक्रम शिवपुरी ने बताया कि गर्मी के सीजन में मंदिरों में फूल बंगले सजाए जाते हैं, जिसमें अनेक प्रकार के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है. दूसरे दिन वह फूल खराब हो जाते हैं. उन फूलों को महिला आश्रय सदन भेज दिया जाता है. सभी फूलों को अलग-अलग किया जाता है. गुलाब के फूलों की पंखुड़ियों को अलग करके नेचुरल सुगंधित फेस वॉश तैयार किया जाता है. चमेली, गेंदा और बेला के फूलों से अगरबत्तियां तैयार की जाती हैं. यहां से बनी हुई अगरबत्ती प्रदेश के कई जिलों में सप्लाई की जाती है. यहां रहने वाली माताओं और बहनों को रोजगार मिला है तो वहीं एक आमदनी का जरिया भी बना है. प्रतिदिन सुबह 10:00 से 12:00 तक यहां महिलाएं काम करती हैं.