मथुरा :पिछले कई महीनों से श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक को लेकर न्यायालय में अधिवक्ता और भक्तगणों ने पिटीशन फाइल कर रखी है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर कोर्ट में मामला अभी विचाराधीन है.
इस विवाद से इतर मामले का एक पहलू यह भी है कि कृष्ण की नगरी हमेशा से सौहार्द की नगरी के रूप में जानी गई है. यहां हिंदू-मुस्लिम मिलकर दिवाली और ईद का पर्व मनाते चले आ रहे हैं. जन्माष्टमी के दिन मुस्लिम परिवार ठाकुरजी के लिए विशेष पोशाक तैयार करते हैं.
फ़िलहाल ताजा जन्मभूमि मामले को लेकर ईटीवी भारत ने स्थानीय लोगों की क्या राय है, यह जानने की कोशिश की. स्थानीय लोगों ने इस बाबत कहा कि वे इसे महज एक राजनीतिक मुद्दा मानते हैं. वहीं, मथुरा के अधिकतर लोगों में इस मुद्दे को लेकर कोई खास दिलचस्पी भी नहीं दिखाई देती. एक रिपोर्ट..
कोर्ट में फाइल है पिटीशन
श्रीकृष्ण जन्म भूमि के मालिकाना हक को लेकर पिछले साल कृष्ण भक्त रंजना अग्निहोत्री ने कोर्ट में पिटिशन फाइल की थी. उसके बाद कई सामाजिक संगठन और कृष्ण भक्तों ने न्यायालय में सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में पिटीशन फाइल की. सभी पिटीशन न्यायालय में अभी विचाराधीन हैं. श्रीकृष्ण जन्म स्थान के मामले में सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में छह पिटीशन और जिला जज की कोर्ट में एक पिटीशन फ़ाइल है.
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क्या है याचिकाकर्ताओं की मांग
श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है. 11 एकड़ में श्रीकृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. श्रीकृष्ण जन्मस्थान कटरा केशव देव मंदिर की जगह पर बना है. जबकि शाही ईदगाह की जमीन भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि बताई जाती है और इसे वापस करने की मांग की जा रही है.
1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण जन्म भूमि सेवा ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने आपस में समझौता कर शाही ईदगाह तक जाने और यहां से जल निकासी आदि के बंदोबस्त की व्यवस्था (डिक्री) कर दी. अब विभिन्न संगठनों के लोग कोर्ट में पिटिशन फाइलकर यह कह रहे हैं कि इन दोनों संस्थानों के पास तो मंदिर की भूमि का मालिकाना हक था ही नहीं. ऐसे में इनके द्वारा की गई डिक्री को रद्द माना जाए.
कोई अधिकार नहीं है भूमि की डिक्री करने का
दरअसल, ब्रिटिश शासन काल में 1815 में नीलामी के दौरान बनारस के राजा पटनी मल ने इस जगह को खरीदा. 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय जब मथुरा आए तो श्रीकृष्ण जन्म स्थान की दुर्दशा को देखकर काफी दुखी हुए. तब स्थानीय लोगों ने भी मदन मोहन मालवीय जी से कहा कि यहां भव्य मंदिर बनना चाहिए.
इस पर मालवीय जी ने मथुरा के उद्योगपति जुगल किशोर बिरला को जन्मभूमि पुनरुद्धार के लिए पत्र लिखा. 21 फरवरी 1951 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना की गई 12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्री कृष्ण जन्मस्थान सोसायटी द्वारा किया गया. 20 जुलाई 1973 को यह जमीन डिक्री की गई. अब डिक्री रद्द करने की मांग को लेकर अधिवक्ताओं ने कोर्ट में याचिका डाली है.