मथुरा: जनपद के बहुचर्चित जवाहर बाग हत्याकांड में शहीद हुए तत्कालीन एसपी सिटी और थाना अध्यक्ष को गुरुवार को छठवीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी गई.शहीद एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की पत्नी ने सरकार और जिला प्रशासन पर सवालउठाए. उन्होंने कहा कि6 साल बीत चुके हैं. लेकिन, जवाहर बाग में शहीद की प्रतिमा नहीं लगाई गई.दो जून 2016 को सरकारी जमीन खाली कराते समय सदर बाजार क्षेत्र जवाहर बाग में हिंसक घटना हुई थी. इसमें तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एक थाना अध्यक्ष संतोष यादव सहित 29 लोगों की जान गई थी. कथित सत्याग्रहियों ने पुलिस पर जानलेवा हमला किया था.
2 जून 2016 को जनपद में प्रदेश को हिला देने वाली घटना जवाहर बाग हिंसक कांड हुआ था. इसमें तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एक इंस्पेक्टर संतोष यादव सहित 29 लोगों की जान चली गई थी. सरकारी जमीन खाली कराते समय कथित सत्याग्रहियों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया था. जवाहर बाग में हिंसा करीब 6 घंटे तक चली थी. शहीद एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की पत्नी हर वर्ष श्रद्धांजलि देने के लिए जवाहर बाग पहुंचती हैं.
क्या हुआ था उस दिन
2 जून 2016 समय तकरीबन शाम 4:30 का था. सरकारी जमीन खाली कराने के लिए तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी पूरी फोर्स के साथ जवाहर बाग पहुंचे थे. लाउडस्पीकर से कथित सत्याग्रहियों को सरकारी जमीन खाली कराने के लिए समझा रहे थे, तभी लोगों ने पुलिस टीम पर पथराव, फायरिंग और हथगोला से हमला कर दिया. जवाहर बाग में भीषण आगजनी हुई. पुलिस को अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा. तभी कथित सत्याग्रहियों ने तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एक इंस्पेक्टर संतोष यादव की गोली मारकर हत्या कर दी. हत्या की सूचना मिलने के बाद पुलिस फोर्स ने जवाहर बाग में मोर्चा संभाला. चारों तरफ आग ही आग दिखाई दे रही थी. हत्याकांड में कथित सत्याग्रहियों की भी मौत हुई.
मार्च 2014 में मध्य प्रदेश के सागर जिले से दिल्ली के लिए स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह संगठन बैनर तले करीब डेढ़ हजार कार्यकर्ता रामवृक्ष यादव के साथ निकले थे. रात होने के कारण मथुरा जनपद जिला प्रशासन से जवाहर बाग में 2 दिन ठहरने की अनुमति मांगी गई थी. इसके बाद रामवृक्ष यादव ने अपने साथियों के साथ जवाहर बाग पर अवैध कब्जा कर लिया था. जब भी जिला प्रशासन जमीन खाली कराने के लिए पहुंचता था उसे बैरंग लौटना पड़ता था. धीरे-धीरे जवाहर बाग अधिवक्ता और पुलिस के ऊपर भी मारपीट की घटनाएं को अंजाम देता था. मामला न्यायालय में जा चुका था. कोर्ट ने 2 जून 2016 को जवाहर बाग खाली कराने के लिए आदेश दिए थे.