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मथुरा में बोले तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा, भारत दुनिया के सामने एक उदाहरण

तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा मथुरा के दो दिवसीय दौरे पर हैं. अपने दौरे के अंतिम दिन सोमवार को उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि भारत करुणा, अहिंसा और मैत्री का संदेश देने वाला देश है, जो दुनिया के सामने एक उदाहरण बना हुआ है.

मीडिया से बातचीत करते तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा.

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Published : Sep 23, 2019, 3:18 PM IST

मथुरा:तिब्बत धर्मगुरु दलाई लामा दो दिन के प्रवास पर गुरु शरणानंद महाराज के रमणरेती आश्रम में आए हुए हैं. सोमवार को प्रवास के दूसरे दिन धर्मगुरु दलाई लामा ने मीडिया से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि अमेरिका दुनिया का सबसे संपन्न देश है. सभी देशों का नेतृत्व करता है. संसद में जितनी सरकारी व्यवस्थाएं और जितने सांसद हैं, वह हमेशा मदद के लिए आते हैं. इसलिए अमेरिका की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह सभी देशों की मदद करें. वह अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहा है.

मीडिया से बातचीत करते तिब्बती धर्मगुरु.
हजारों साल पुरानी है भारत की संस्कृतिदलाई लामा ने कहा कि भारत की संस्कृति हजारों साल पुरानी है और नालंदा परंपरा आज भी देखने को मिलती है. चीन में सबसे ज्यादा बौद्ध भिक्षुक और अनुयायी रहते हैं, लेकिन बौद्ध के साक्ष्य प्रमाण चीन से ज्यादा भारत में देखे गए हैं. जितने भी विद्वान और अध्ययनकर्ता भारत आए, उन्होंने बुद्ध के सिद्धांतों को परखा और पहचाना और फिर विश्वास किया.

हर सम्प्रदाय के लोग भारत में रहते हैं
तिब्बती धर्मगुरु ने कहा कि 6,000 किलोमीटर लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक हमारे बौद्ध भिक्षु अध्ययन कर रहे हैं. निश्चित रूप से यही कहना चाहूंगा कि प्राचीन सभ्यता आज भी वहां देखी जाती है. ढाई हजार वर्ष पुरानी सभ्यता आज भी जीवित है. भारत में सबसे ज्यादा कई संप्रदाय के लोग रहते हैं. मैं सबका सम्मान करता हूं, लेकिन कभी ऐसा नहीं देखा गया कि कोई अपने धर्म या संप्रदाय के नाम पर लड़ता है. भारत करुणा, अहिंसा और मैत्री का संदेश देने वाला दुनिया के सामने एक उदाहरण बना हुआ है.

बौद्ध धर्म का सबसे ज्यादा प्रचार-प्रसार भारत में
दलाई लामा ने कहा चीन दुनिया की सबसे आबादी वाला देश है. दूसरे नंबर पर भारत का नाम आता है. दोनों ही पड़ोसी राष्ट्र हैं. एक साथ रहते हैं. चीन में सबसे ज्यादा बौद्ध धर्म अपनाने वाले अनुयायी रहते हैं. मैंने देखा है कि बौद्ध धर्म की व्यवस्थाएं पूर्व से चली आ रही हैं. बौद्ध भिक्षुक भारत आकर नालंदा परंपरा के अनुरूप अध्ययन करते हैं. चीन से कई विद्वान भारत आए और अध्ययन भी किया. बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को जाना परखा और पहचाना. चीन से ज्यादा गाथाएं बौद्ध धर्म की भारत में मिलती हैं. दलाई लामा ने कहा मैं सब देशों से कहना चाहता हूं कि बच्चों को मैत्रिक सद्भावना का पाठ पढ़ाना चाहिए, ताकि भविष्य में लोगों के काम आ सके और सद्भावना का माहौल बन सके.

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