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मां की मौत की मिली सूचना, ड्यूटी पर अडिग रहे 108 एंबुलेंस चालक 'प्रभात'

कोरोना वैश्विक महामारी (Corona Pandemic) में वायरस से लाखों लोगों की जानें जा चुकी हैं. वहीं स्वास्थ्य सेवाओं द्वारा करोड़ों लोगों की जान भी बचाई गई है. इस कोरोना काल में स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ 108 एंबुलेंस चालकों (108 Ambulance Driver) ने भी अहम भूमिका निभाई है. ऐसी ही एक कहानी है, जब मां की मौत की सूचना मिलने पर भी एंबुलेंस चालक ने पहले अपनी ड्यूटी निभाई.

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एंबुलेंस चालक की कहानी.

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Published : May 28, 2021, 7:22 PM IST

Updated : May 28, 2021, 8:30 PM IST

मथुराःकोरोना वैश्विक महामारी (Corona Pandemic) के बीच कई कोरोना वॉरियर्स (Corona Warriors) ने अपनी क्षमता के अनुसार लोगों की मदद की है और कर भी रहे हैं. ऐसे में 108 एंबुलेंस चालकों ने भी अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दी हैं. एंबुलेंस चालकों की कई कहानियां हैं ऐसी ही एक कहानी मथुरा के प्रभात यादव की है. प्रभात यादव पिछले 9 वर्षों से 108 एंबुलेंस की सेवा प्रदान कर रहे हैं. कोरोना काल में प्रभात के परिवार में कोरोना वायरस (Coronavirus) से बड़े भाई, माता, पिता की मौत हो गई है, लेकिन प्रभात इस सबके बावजूद अपना फर्ज निभा रहे हैं.

एंबुलेंस चालक की कहानी.

एंबुलेंस चालक की कहानी उसी की जुबानी

मैनपुरी के रहने वाले प्रभात यादव की ड्यूटी 108 एंबुलेंस चालक के रूप में 2012 में लगी. प्रभात की पोस्टिंग मथुरा जिले में की गई. तब से वह लगातार अपनी सेवा दे रहे है. कोरोना वायरस के फैलने के बाद भी वह कोरोना मरीजों की मदद करते रहे.

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कोरोना वायरस से परिवार में तीन लोगों की हुई मौत
प्रभात बताते हैं कि कोरोना वायरस के चलते उनके परिवार में तीन लोगों की मौत हो गई है. पिछले साल जुलाई में पिता रामवीर सिंह की वायरस के चलते मौत हो गई. उसके बाद बड़े भाई ओंकार सिंह की भी मौत होने से घर पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा. अभी दुःख कम होता कि पिछले साल की 15 मई को प्रभात की मां की भी कोरोना वायरस के चलते मौत हो गई. इनसब के बावजूद भी एंबुलेंस चालक प्रभात ने अपने फर्ज से मुंह नहीं मोड़ा और मरीजों को निरंतर अस्पताल में भर्ती कराते रहे.

कंट्रोल रूम से मिलती है सूचना

प्रभात के साथ एंबुलेंस में रहने वाले स्वास्थ्य कर्मी अछेन्द्र यादव ने बताया कि कंट्रोल रूम से सूचना मिलने के बाद सबसे पहले मरीज को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराना होता है. फोन कॉल कब आ जाए, पता नहीं होता, मरीज को एंबुलेंस की सेवा प्रदान की जाती है. इलाज के लिए फौरन अस्पताल में भर्ती कराया जाता है. उन्होंने बताया कि 15 मई का दिन मुझे याद है, जब प्रभात के घर से माताजी की मौत की सूचना आई. प्रभात की आंखों से आंसू झलक रहे थे, लेकिन कदम डगमगाए नहीं. मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया गया. उसके बाद प्रभात अपनी मां के शव का अंतिम संस्कार कराने के लिए मैनपुरी रवाना हो गए.

Last Updated : May 28, 2021, 8:30 PM IST

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