मथुरा: यमुना नदी और आसपास इन दिनों साइबेरियन पक्षी की चहचहाट गूंज रही है. हजारों किलोमीटर का सफर तय कर मथुरा पहुंचे इन साइबेरियन पक्षियों की अठखेलियां हर किसी का मन मोह ले रही है.
करीब दो महीने के प्रवास के बाद हजारों की संख्या में आए ये साइबेरियन पक्षी लौट जाएंगे. ये पक्षी शुद्ध शाकाहारी भोजन ही खाते हैं. इन्हें देखकर श्रद्धालु काफी रोमांचित हो रहे हैं. नमकीन और बिस्कुट यमुना के पानी में डालते ही ये विदेशी पक्षी झुंड बनाकर इसका आनंद उठाने में जुट जाते हैं.
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मथुरा में यमुना नदी पर इस तरह अठखेलियां कर रहे साइबेरियन पक्षी. मथुरा में दिसंबर और जनवरी का मौसम साइबेरियन पक्षियों को खूब भाता है. शायद यही वजह है कि ये पक्षी हर वर्ष हजारों किलोमीटर का सफर तय कर यहां आते हैं. सफेद और काले रंग के ये पक्षी इन दिनों दिनभर यमुना नदी पर अठखेलियां कर रहे हैं.
यमुना नदी के किनारे सुबह और शाम विदेशी साइबेरियन पक्षियों का बेहद खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है. इन पक्षियों की चहचहाहट और यमुना नदी को देखकर हर किसी का मन खुशी से खिल उठता है.
सफेद रंग के इन पक्षियों की चोंच और पैर नारंगी रंग के होते हैं. साइबेरिया बहुत ही ठंडी जगह है जहां नवंबर से लेकर मार्च तक तापमान जीरो से बहुत नीचे चला जाता है. इस तापमान में इन पक्षियों का जिंदा रह पाना बहुत मुश्किल हो जाता है. इसीलिए ये पक्षी हजारों किलोमीटर की दूरी तय करके भारत आ जाते हैं.
भारत आने के लिए ये पक्षी करीब 4000 किलोमीटर से भी ज्यादा लम्बा सफ़र उड़कर पूरा करते हैं. ये सफर ये पक्षी हजारों के समूह के रूप में पूरा करते हैं. भारत इनकी पसंदीदा जगह है. भारत में यह पक्षी सबसे पहले महाराष्ट्र के बारामती पहुंचते हैं. बारामती में स्थित
'बिग बर्ड सेंचुअरी' में इकट्ठा होने के बाद ये पक्षी मथुरा समेत भारत के कोने-कोने में फैल जाते हैं.
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