मथुरा:श्रीकृष्ण जन्मभूमि (shrikrishan janambhumi case) ईदगाह प्रकरण (Idgah Case) को लेकर जनपद की सिविल जज ने डिवीजन की कोर्ट ने विवादित स्थान का निरीक्षण अमीन के द्वारा निरीक्षण कराए जाने के आदेश के बाद मंदिर संस्थान के वकील और प्रतिवादी अधिवक्ता मुकेश खंडेलवाल ने बताया कि विवादित स्थान शाही ईदगाह मस्जिद के पास कोई भी दस्तावेज नहीं है. पूरी संपत्ति का मिल्कियत श्री कृष्ण जन्म भूमि सेवा संस्थान के पास है. राजस्व अभिलेख तहसील नगर निगम में संपत्ति दर्ज है.
जनपद के सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि ईदगाह प्रकरण को लेकर पिछले दिनों विवादित स्थान का निरीक्षण अमीन के द्वारा करने के आदेश दिया है. प्रतिवादी मंदिर के अधिवक्ता मुकेश खंडेलवाल ने बताया कि अभी तक कोट के आदेश की कॉपी तामील नहीं हुई है. जानकारी मिली है कि कोर्ट ने आदेश पारित किया है कि अमीन मौके पर जाए और निरीक्षण कर मानचित्र बनाकर अपनी रिपोर्ट बना कर कोर्ट में प्रस्तुत करें. मामले की 20 जनवरी को सुनवाई होगी. सुनवाई से पहले अमीन सभी पक्षकारो को सूचित करेगा और मौके पर जाएगा.
श्रीकृष्ण जन्मभूमि ईदगाह प्रकरण को लेकर ये बोले प्रतिवादी अधिवक्ता - Shri Krishna Janmabhoomi
मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह प्रकरण को लेकर प्रतिवादी अधिवक्ता ने क्या कुछ कहा चलिए जानते हैं.
अधिवक्ता के मुताबिक विवादित ईदगाह श्रीकृष्ण जन्मस्थान का भाग है. मौके की मुताबिक ईदगाह मौके की मुताबिक की द्रव मौके की मुताबिक ईदगाह वाली जो संपत्ति है कुल संपत्ति का खेवट नंबर 255 खसरा संख्या 825 जिसमे ईदगाह शामिल है. उसका रकबा 13.37 एकड़ राजस्व अभिलेख श्रीकृष्ण जन्म स्थान संपत्ति मिल्कियत के रूप में दर्ज है. प्रॉपर्टी हाल में मंदिर और ईदगाह नगर पालिका, अब नगर निगम की सीमा के अंदर है. नगर निगम के रिकॉर्ड में संपत्ति श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट की अंकित चली आ रही है. ईदगाह के पास मिल्कियत से सम्बंधित कोई दस्तावेज नही है और न नही कोर्ट मे कोई दस्तावेज जमा नही कराए है.
श्री कृष्ण जन्म भूमि ईदगाह प्रकरण को लेकर न्यायालय में जितने भी वाद दाखिल किए गए हैं. हम सभी में 1968 के समझौते को रद्द करने की मांग की गई है. अधिवक्ता मुकेश खंडेलवाल ने बताया कि 1968 में संस्थान ओर ईदगाह के मध्यम एक कथित समझौता हुआ संस्थान को ट्रस्ट की परमिशन आज्ञा देनी चाहिए थी. बिना ट्रस्ट की आज्ञा के बिना यह समझौता कल लिया क्योंकि कानूनन गलत है न्यायालय जो भी इस पर आदेश पारित करेगा वह ट्रस्ट संस्थान को भी मंजूर होगा.
अधिवक्ता मुकेश खंडेलवाल ने बता दिया कि न्यायालय राजस्व के अमीन अलग होते हैं और तहसील के अमीन अलग न्यायालय ने जो आदेश किया है. दीवानी न्यायालय के अमीन मौके पर जाएंगे सभी पक्षकार को सूचित किया जाएगा. पक्षकार अधिवक्ता की मौजूदगी में निरीक्षण किया जाएगा.
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