मथुराःशाही ईदगाह मस्जिद को श्रीकृष्ण जन्मभूमि की भूमि बताकर विभिन्न हिंदूवादी संगठनों द्वारा सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में विभिन्न याचिकाएं डाल रखी है. जिसमें 1 दर्जन से अधिक याचिकाएं न्यायालय में विचाराधीन है, जिन पर समय-समय पर सुनवाई चल रही है. पक्ष-विपक्ष के अधिवक्ता न्यायालय में उपस्थित होकर अपनी दलील और साक्ष्य पेश कर रहे हैं. वहीं, शाही ईदगाह मस्जिद के सचिव अधिवक्ता तनवीर अहमद का कहना है कि निराधार आधार पर तमाम लोग मुकदमे लेकर आ रहे हैं, जिन पर कोर्ट में सुनवाई चल रही है. लेकिन अभी तक कोई माकूल साक्ष्य सबूत पेश नहीं किया गया है.
जानकारी देते अधिवक्ता तनवीर अहमद. इसे भी पढ़ें-श्रीकृष्ण जन्मभूमि प्रकरण: दिनेश कौशिक की याचिका पर सुनवाई आज
तनवीर अहमद का कहना है कि शाही ईदगाह मस्जिद और श्री कृष्ण जन्मभूमि का रास्ता अलग है. दोनों धर्म स्थलों की सीमाएं अलग है. मंदिर में पूजा अर्चना होती है और मस्जिद में पांच वक्त की नमाज होती है. यहां कोई विवाद नहीं है. बाहर से आकर कुछ लोगों ने जरूर विवाद उत्पन्न करने का काम किया है. स्थानीय स्तर पर कोई विवाद नहीं है. विपक्ष उनपर निराधार आरोप लगा रहा है. जबकि हमारी तरफ से आज तक कभी भी कोई स्थगल प्रार्थना पत्र नहीं दिया. बल्कि वादी पक्ष ने ही स्थगल प्रार्थना पत्र दिया, जिसमें ढाई सौ हर्जाने पर स्वीकार भी हुआ.
तनवीर अहमद का कहना है कि 'सेवन रूल 11a कानून का प्रोसीजर है. 7 रूल 11 सीपीसी के तहत पहले यह तय हो जाए, जिसमें बहस चल रही है कि मुकदमे चलने योग्य हैं. अगर यह चलने लायक नहीं है तो अन्य प्रार्थना पत्र पर विचार क्यों किया जाए, इस पर बहस चल रही है.
क्या है मामला
श्री कृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर पिछले 2 वर्षों से जनपद के न्यायालय में कई प्रार्थना पत्र दाखिल किए गए हैं .सभी प्रार्थना पत्रों में श्री कृष्ण जन्मभूमि परिसर से विवादित स्थान शाही ईदगाह मस्जिद परिसर हटाने की मांग की गई है. हिंदूवादी संगठनों का कहना है कि 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने उत्तर भारत में मंदिरों को तोड़कर अवैध मस्जिदों का निर्माण कराया था. भगवान श्री कृष्ण का मूल विग्रह मंदिर शाही ईदगाह मस्जिद के नीचे दबा हुआ है. श्री कृष्ण जन्मभूमि परिसर 13.37 एकड़ भूमि में बना हुआ है. 11 एकड़ में श्री कृष्ण जन्मभूमि लीला मंच भागवत भवन और 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है.