मथुरा:सावन का महीना शुरू होते ही शिव भक्तों की लंबी-लंबी कतारें मंदिरों में देखने को मिलती हैं. कृष्ण की नगरी में साढे़ पांच हजार वर्ष पुराने प्राचीन रंगेश्वर महादेव मंदिर में सावन के महीने में श्रद्धालुओं का तांता लगता है. पौराणिक मान्यता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण और बलराम ने कंस का वध किया था, तब धरती से महादेव प्रकट हुए थे, जो रंगेश्वर के नाम से विख्यात हैं. जानिए रंगेश्वर महादेव मंदिर की महत्ता.
शहर के रंगेश्वर महादेव मंदिर में वैसे तो हर रोज श्रद्धालुओं का जमावड़ा रहता है. लेकिन, ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में यहां पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. दूरदराज से हजारों की संख्या में श्रद्धालु सुबह-शाम दर्शन करने के लिए आते हैं और मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना करने के बाद मन में भक्ति भाव के कारण सुख की प्राप्ति होती है.
पौराणिक मान्यता
द्वापर युग में मथुरा के राजा कंस के अत्याचारों से साधु-संत और प्रजा दुखी थी. चारों तरफ एक ही आवाज सुनाई देती थी. कृष्ण का अवतार हो, कंस का नाश हो. देवकी के गर्भ से भगवान कृष्ण ने जन्म लिया. मथुरा में जन्म होने के बाद भगवान कृष्ण ने गोकुल में क्रीड़ा खेली और अपनी लीलाएं वृंदावन में कीं. कंस का वध करने के लिए कृष्ण और बलराम जब मथुरा पहुंचे तो भगवान कृष्ण ने अपने छल से और बलराम ने अपने बल से कंस का वध किया.
धरती से प्रकट हुए रंगनाथ महादेव
राजा कंस का वध करने के बाद भगवान कृष्ण और बलराम आपस में झगड़ रहे थे और कहने लगे मैंने कंस को मारा है, मैंने कंस को मारा है. तभी धरती से प्रकट हुए महादेव की चारों तरफ गूंज सुनाई देने लगी. महादेव ने कहा कि कृष्ण ने अपने छल से और बलराम ने अपने बल से कंस का वध किया है. इसके बाद महादेव उसी स्थान पर विराजमान हो गए और रंगेश्वर महादेव के नाम से विख्यात हुए. आज भी प्राचीन मंदिर रंगेश्वर में बना हुआ है, जहां लोग पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं.