मथुरा :असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक विजयदशमी का पर्व देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. लगभग सभी जगहों पर रावण का पुतला भी दहन किया जाता है, लेकिन मुथरा में काफी लोग ऐसा नहीं करते हैं. वे इस खास दिन पर लंकापति रावण की पूजा करते हैं. रावण की वेशभूषा पहने कलाकार की आरती भी उतारी जाती है. मंगलवार को विधि विधान से लंकेश्वर भक्त मंडल समिति के कार्यकर्ताओं ने सदर बाजार में यमुना नदी के किनारे बने प्राचीन शिव मंदिर में महाआरती की. इसके बाद रावण का पुतला जलाने का विरोध किया.
हर साल की जाती है पूजा :शहर के यमुना नदी के किनारे शिव मंदिर में विजयदशमी के पर्व पर सारस्वत समाज के लोग लंकेश्वर भक्त मंडल समिति के बैनर तले लंकापति रावण की विधि-विधान से पूजा करने के बाद महाआरती उतारते हैं. रावण भी भोलेनाथ की आराधना करता था. पिछले कई वर्षों से लंकेश भक्त मंडल द्वारा मंदिर में रावण की महाआरती उतारी जाती है, और रावण के पुतला जलाने का विरोध किया जाता है. इस बार भी ये सिलसिला कायम रहा.
हर साल पुतला जलाना मानते हैं अनुचित :असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक विजयदशमी का पर्व रावण का पुतला दहन करके मनाया जाता है. जनपद में सारस्वत समाज के लोग रावण का पुतला जलाने का विरोध करते हैं. उनका कहना है कि लंकापति रावण प्रचंड विद्वान और वेदों का ज्ञाता था. भगवान शिव की आराधना करता था. मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने भी रावण की शिव के प्रति भक्ति और महाशक्तियों का समावेश देखकर कहा था कि इस संसार में रावण के बराबर कोई विद्वान कोई नहीं होगा. हिंदू संस्कृति के अनुसार मरे हुए व्यक्ति का एक बार ही पुतला जलाया जाता है, न कि बार बार. लेकिन हर साल विजयदशमी के पर्व पर रावण का पुतला दहन किया जाता है. यह अनुचित है.