मथुरा:मथुरा, बरसाना, गोकुल और वृंदावन यह वो बृज है, जहां होली के पर्व को बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है. इतना ही नहीं हर साल दूर-दराज से भारी संख्या में श्रद्धालु ब्रज पहुंचते हैं और रंग गुलाल, रसिया के गीतों में जमकर थिरकते हुए होली का पर्व मनाते है. कहा जाता है कि यहां बसंत पंचमी के दिन से ही मंदिरों में ठाकुर जी को गुलाल लगाकर होली की शुरुआत हो जाती है और फिर 40 दिनों तक यहां होली खेली जाती है. इसी क्रम में 10 मार्च को राधा रानी की जन्मस्थली बरसाना में लड्डू मार होली खेली जाएगी.
द्वापर युग से चली आ रही लड्डू मार होली की परंपरा
राधा रानी की जन्मस्थली बरसाना में लड्डू मार होली भव्यता के साथ खेली जाती है. नंद गांव के ग्वाला कृष्ण रूपी भेष में बरसाना पहुंचते हैं और राधा रानी मंदिर में जाकर लड्डू मार होली का निमंत्रण दिया जाता है. मंदिर सेवायतों की अनुमति मिलने के बाद होली का निमंत्रण स्वीकार होता है और श्रद्धालुओं पर बूंदी के लड्डू लुटाए जाते हैं. इसी को लड्डू मार होली कहा जाता है.