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श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक को लेकर जिला जज की कोर्ट में दाखिल की जाएगी याचिका - सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन

श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक की मांग को लेकर अब जिला जज की कोर्ट में याचिका दाखिल की जाएगी. यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने दी है.

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श्रीकृष्ण जन्मभूमि.

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Published : Oct 4, 2020, 6:29 PM IST

मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक और परिसर को मस्जिद मुक्त बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं ने 25 सितंबर को सिविल सीनियर डिवीजन जज छाया शर्मा की कोर्ट में याचिका डाली थी. 30 सितंबर को सीनियर डिवीजन जज ने दस्तावेज पूरे न होने पर याचिका को खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता द्वारा अपर न्यायिक कोर्ट में याचिका डालने की बात कही जा रही है.

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन.

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने फोन पर जानकारी देते हुए बताया कि जिला जज की कोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मालिकाना हक की मांग को लेकर याचिका दाखिल की जाएगी. सीनियर डिवीजन सिविल कोर्ट में हमारी याचिका पर पूरी तरह से सुनवाई नहीं की गई.

हरिशंकर जैन ने कहा कि सभी अधिवक्ताओं से विचार विमर्श करने के बाद अगले कुछ दिनों में जिला जज की कोर्ट में याचिका दाखिल की जाएगी, क्योंकि सिविल कोर्ट द्वारा जो आदेश प्राप्त हुआ है, उसमें याचिका खारिज की गई है. हम अपनी बात अपर कोर्ट में रख सकते हैं, इसलिए जिला जज की कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे.

दरअसल, श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है, जिसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और डेढ़ एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता द्वारा 25 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्मस्थान के मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में याचिका डाली गई थी, जिसमें श्रीकृष्ण सेवा संस्थान और शाही ईदगाह कमेटी को प्रतिवादी पक्ष बनाया गया था.

बता दें कि ब्रिटिश शासन काल में 1815 में नीलामी के दौरान बनारस के राजा पटनी मल ने इस जगह को खरीदा था. 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय जब मथुरा आए तो श्रीकृष्ण जन्मस्थान की दुर्दशा को देखकर दुखी हुए और स्थानीय लोगों ने भी मदन मोहन मालवीय जी से कहा कि यहां भव्य मंदिर बनना चाहिए. मदन मोहन मालवीय जी ने मथुरा के उद्योगपति जुगल किशोर बिरला को जन्मभूमि पुनरुद्धार के लिए पत्र लिखा.

सन 21 फरवरी 1951 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना की गई. 12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्रीकृष्ण जन्मस्थान सोसायटी द्वारा किया गया. 20 जुलाई 1973 को यह जमीन डिक्री की गई थी. डिक्री रद्द करने की मांग को लेकर अधिवक्ता ने कोर्ट मे याचिका डाली है.

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श्रीकृष्ण जन्मस्थान का प्राचीन केशव देव मंदिर पूर्व में मलपुरा के नाम से जाना जाता था. चार किलोमीटर का एरिया केशव देव की संपत्ति मानी जाती है. प्राचीन केशव देव मंदिर के पास कंस का कारागार हुआ करता था. भगवान श्री कृष्ण के प्रपौत्र ब्रजनाभ ने उसी स्थान पर केशव देव मंदिर की स्थापना की. मुगल साम्राज्य के दौरान औरंगजेब ने 1669 में मंदिर को ध्वस्त कर दिया और शाही ईदगाह मस्जिद बनवाई गई जो कि वर्तमान में बनी हुई है. कटरा केशव देव को ही श्री कृष्ण जन्म स्थान माना जाता है.

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