मथुरा: श्री कृष्ण जन्म भूमि के मालिकाना हक को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन सहित पांच अधिवक्ताओं ने मथुरा जिला जज कोर्ट में याचिका दाखिल की है. 25 सितंबर को सिविल जज सीनियर डिविजन कोर्ट में याचिका डाली गई थी, लेकिन 30 सितंबर को अपर न्यायाधीश छाया शर्मा ने दस्तावेज पूरे न होने पर याचिका खारिज कर दी थी. एक बार फिर अधिवक्ताओं ने जिला जज की कोर्ट में पिटीशन फाइल की है. इस पिटिशन पर दोपहर दो बजे सुनवाई होगी.
जानकारी देते याचिकाकर्ता करुणेश शुक्ला. बता दें, श्री कृष्ण जन्मभूमि परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है, जिसमें श्री कृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और डेढ़ एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं द्वारा 25 सितंबर को श्री कृष्ण जन्मस्थान के मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में याचिका डाली गई थी, जिसमें श्री कृष्ण सेवा संस्थान और शाही ईदगाह कमेटी को प्रतिवादी पक्ष बनाया गया था.
अधिवक्ताओं की कोर्ट से मांग है कि श्री कृष्ण जन्मस्थान को मस्जिद से मुक्त किया जाए. वहीं 30 सितंबर को अपर न्यायाधीश छाया शर्मा ने दस्तावेज पूरे न होने पर याचिका खारिज कर दी थी.
अधिक्ताओं ने की पिटीशन फाइल. क्या है पूरा मामला
ब्रिटिश शासन काल में 1815 में नीलामी के दौरान बनारस के राजा पटनी मल ने इस जगह को खरीदा था. इसके बाद 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय जब मथुरा आए तो श्री कृष्ण जन्मस्थान की दुर्दशा को देखकर दुखी हुए. स्थानीय लोगों ने जब मदन मोहन मालवीय से कहा कि यहां भव्य मंदिर बनाना चाहिए. इसके बाद मदन मोहन मालवीय ने मथुरा के उद्योगपति जुगल किशोर बिरला को पत्र लिखकर जन्मभूमि के पुनरुद्धार के लिए कहा. उनके अनुरोध पर 21 फरवरी 1951 में श्री कृष्ण जन्म भूमि ट्रस्ट की स्थापना की गई और 12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्री कृष्ण जन्मस्थान सोसायटी द्वारा किया गया. 20 जुलाई 1973 को यह जमीन डिक्री की गई. डिक्री रद्द करने की मांग को लेकर अधिवक्ताओं ने कोर्ट में याचिका डाली है.
याचिकाकर्ता करुणेश शुक्ला ने बताया कि पिछली बार कुछ कमियां रह गई थीं, जिसके चलते याचिका खारिज कर दी गई थी. इस बार पिछली बार की कमियों को पूर्ण किया गया है और फिर दोबारा से याचिका डाली गई है. उम्मीद है कि इस बार किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी.