एक-दूसरे को चप्पल मारकर होली खेलते हुए लोग. मथुराःपूरे ब्रज में 40 दिनों तक होली का पर्व हर्षोल्लास के मनाया जाता है. दूरदराज से लाखों की संख्या में श्रद्धालु होली खेलने के लिए मथुरा पहुंचते हैं. हम बात कर रहे हैं एक ऐसी होली की जहां रंगों से नहीं, गुलाल से नहीं, बल्कि एक-दूसरे को चप्पल मारकर होली की शुभकामनाएं दी जाती हैं. बड़े, बुजुर्ग, बच्चे और जवान सब एक-दूसरे को चप्पल मारकर होली खेलते हैं. जनपद मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर सौंख कस्बे के बछगांव में शुक्रवार से ही चप्पल मार होली की शुरुआत हो गई है.
जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर गोवर्धन रोड पर सौंख कस्बे के बछगांव में शुक्रवार को एक-दूसरे को चप्पल मारकर हर्षोल्लास के साथ होली का पर्व मनाया गया. कई दिनों तक यहां होली इसी अंदाज में खेली जाएगी. चप्पल मारकर एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएं दी जा रही हैं. पूरे ब्रज में होली 40 दिनों तक अलग-अलग अंदाज में मनाई जाती है. मथुरा के अलग-अलग स्थानों पर लड्डू मार होली, फूलों की होली, लट्ठमार होली और रंग गुलाल की होली खेली जा रही है.
होली का आनंद लेने के लिए पहुंचते हैं विदेशी श्रद्धालु
ब्रज में होली का अद्भुत रंग और आनंद लेने के लिए देश के अनेक कोने से श्रद्धालु भक्तगण यहां पहुंचते हैं. वहीं, विदेशी सैलानी भी होली खेलने के लिए नंदगांव, बरसाना, मथुरा और गोकुल आते हैं. लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां होली का अद्भुत आनंद लेते हैं.
पौराणिक मान्यता
फाल्गुन के महीने में बसंत पंचमी के दिन से ब्रज में होली की शुरुआत ठाकुर जी के गुलाल लगाकर हो जाती है. ब्रज के सभी मंदिरों में होली हर्ष उल्लास के साथ खेली जाती है. कहा जाता है कि ब्रज में होली खेलने के लिए स्वर्ग लोक से देवी-देवता अनेक रूप धारण करके पृथ्वीलोक पर पधारते हैं और यहां होली का आनंद लेते हैं. राधा रानी की जन्मस्थली बरसाना में नंद गांव के हुरियारे बरसाना की गोपियां के साथ लट्ठमार होली 28 फरवरी को खेली जाएगी. 1 मार्च को बरसाना के हुरियारे नंद बाबा भवन में पहुंचकर नंद गांव की गोपियों के साथ लट्ठमार होली खेलेंगे.
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