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चढ़ा मुड़िया मेले के निरस्त होने पर निर्भर लोगों में छाई मायूसी

प्रतिवर्ष गुरू पूर्णिमा मेले पर गोवर्धन में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु भक्त गिरिराज जी के दर्शन और परिक्रमा करने आते हैं, जिससे स्थानीय पंडा समाज, मंदिर सेवायतो के साथ दुकानदारों की रोजी रोटी चलती रहती है. लेकिन इसबार कोरोना के चलते मुड़िया पूर्णिमा मेला को निरस्त कर दिया गया, जिससे लोग काफी मायूस है.

कोरोना की भेंट चढ़ा मुड़िया मेला
कोरोना की भेंट चढ़ा मुड़िया मेला

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Published : Jul 22, 2021, 5:49 AM IST

मथुरा :कोरोना संक्रमण के प्रकोप और तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी तीर्थ स्थल गोवर्धन में लगने वाले राजकीय मुड़िया पूर्णिमा मेला को निरस्त कर दिया गया है. यह मेला 20 जुलाई से 24 जुलाई तक गोवर्धन में लगने वाला था, लेकिन प्रशासन ने वायरस के प्रकोप को देखते हुए से निरस्त कर दिया, जिसके चलते तीर्थ यात्रियों पर निर्भर करने वाले मंदिर सेवायत, दुकानदार, स्थानीय पंडा समाज आदि लोगों में मायूसी छाई हुई है. इस दौरान इन लोगों की होने वाली आमदनी का जरिया भी खत्म हो चुका है.

कोरोना की भेंट चढ़ा मुड़िया मेला
प्रतिवर्ष गुरू पूर्णिमा मेले पर गोवर्धन में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु भक्त गिरिराज जी के दर्शन और परिक्रमा करने आते हैं, जिससे स्थानीय पंडा समाज, मंदिर सेवायतो के साथ दुकानदारों की रोजी रोटी चलती रहती है. कोरोना के चलते प्रशासन ने गुरू पूर्णिमा मेले के आयोजन पर रोक लगा दी है, जिसके चलते मंदिरों में एक और जहां सन्नाटा पसरा है तो वहीं दूसरी ओर बाजारों में दुकानदार हाथ पर हाथ धर कर बैठे हुए हैं. गोवर्धन में लगभग 80 फीसदी लोगों की रोजी रोटी बाहर से आने वाले तीर्थ यात्रियों पर ही निर्भर करती है.

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मेला रद्द होने के कारण इन लोगों के रोजगार पर काफी असर पड़ा है, जिसके चलते लोगों में शासन-प्रशासन के प्रति खासा रोष व्याप्त है. स्थानीय दुकानदार और पंडा समाज के लोगों ने सरकार से आर्थिक सहयोग की मांग की है. लोगों ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते प्रशासन द्वारा पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी मेले को निरस्त कर दिया है, जिसके चलते बाहर से लाखों की संख्या में आने वाले भक्त इस बार गोवर्धन नहीं आएंगे. इसकी वजह से उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. व्यापारियों को लगभग 90 प्रतिशत का नुकसान हुआ है. वहीं सेवायत और पंडा समाज का तो आमदनी का एक ही जरिया खत्म हो चुका है.

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