नई दिल्ली : ई-रिक्शा बंद करने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (NGT) ने मथुरा के जिलाधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. एनजीटी ने फटकार लगाते हुए पूछा कि आपने हमारे किस आदेश के तहत गोवर्धन के परिक्रमा मार्ग पर ई-रिक्शा का परिचालन रोक दिया. जस्टिस एस रघुवेंद्र राठौर की अध्यक्षता वाली बेंच ने मथुरा के जिलाधिकारी और गोवर्धन थाने के एसएचओ को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.
दरअसल पिछले 19 अगस्त को एनजीटी ने मथुरा के एसएसपी और जिलाधिकारी को निर्देश दिया था कि वे अगले दो दिनों तक गोवर्धन में कैंप लगाकर सफाई कराएं. एनजीटी ने दोनों अधिकारियों को निर्देश दिया कि वो 20 और 21 अगस्त को सभी कचरों की सफाई कराएं, ताकि जन्माष्टमी के मौके पर श्रद्धालुओं को गंदगी का सामना न करना पड़े.
ई-रिक्शा का परिचालन किया था बंद
सुनवाई के दौरान एनजीटी ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील सार्थक चतुर्वेदी के हलफनामें, अखबारों की खबरों और फोटो से ये पाया कि मथुरा के जिलाधिकारी ने एनजीटी के आदेश की आड़ में ई-रिक्शा का परिचालन बंद कर दिया था. सभी भंडारों को भी बंद कर दिया गया था, जिससे जन्माष्टमी और भदवा के दौरान आए श्रद्धालुओं में अफरातफरी मच गई और उन्हें काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा.
गोवर्धन शहर की शांति व्यवस्था पूरे तरीके से चरमरा गई. यहां तक कि एनजीटी के खिलाफ लोग नारे लगाते हुए सड़कों पर उतर आए. एनजीटी ने कहा कि स्थानीय प्रशासन को एक दिन पहले से पता था कि प्रदर्शनकारियों ने बाजार, स्कूल और कॉलेज बंद करने का फैसला लिया है. उसके बावजूद प्रशासन ने कोई एहतियाती कदम नहीं उठाए.
'हमारे आदेश का गलत मतलब निकाला'
एनजीटी ने कहा कि हमने 19 अगस्त को अपने आदेश में ये कहीं नहीं कहा था कि ई-रिक्शा बंद कर दिए जाएं. लेकिन जिला प्रशासन ने हमारे आदेश का गलत मतलब निकाला और ई-रिक्शा का परिचालन बंद करने का आदेश दिया. इससे एनजीटी के प्रति नकारात्मक प्रचार हुआ और गोवर्धन की सड़कें और गलियों पर उपद्रवी आ गए और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया.
गोवर्धन के एसएचओ भी इस मामले पर मूकदर्शक बने रहे उन्होंने न ही वरिष्ठ अफसरों को सूचित किया और न ही उन्होंने कोई एहतियाती कदम उठाया. एनजीटी के पूछने पर एसएचओ कोई जवाब नहीं दे पाए.
एनजीटी ने किया टीम का गठन
एनजीटी ने मथुरा के उपजिलाधिकारी को निर्देश किया कि वे परिवहन और पुलिस विभाग की एक टीम को बनाकर बैटरी चालित ई-रिक्शा के रजिस्ट्रेशन का काम दस दिनों में पूरा करें. एनजीटी ने पांच अफसरों की एक टीम का गठन किया जो ई-रिक्शा का रुट तय करेगा. इस कमेटी में मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकार के वाइस चेयरमैन, मथुरा के असिस्टेंट आरटीओ, मथुरा रेंज के आईजी, मथुरा के एसएसपी या उनके प्रतिनिधि और मथुरा के जिलाधिकारी शामिल हैं.
एनजीटी ने कहा कि ई-रिक्शा को कच्ची परिक्रमा में चलने की इजाजत नहीं होगी क्योंकि इससे खाली पैर परिक्रमा कर रहे श्रद्धालुओं को परेशानी होगी. बुजुर्गों और दिव्यांग श्रद्धालुओं को लेकर चलनेवाले ई-रिक्शा के लिए समय का निर्धारण किया जाएगा और वे कच्ची परिक्रमा में ई-रिक्शा की पार्किंग नहीं करेंगे. एनजीटी ने कहा कि ये कमेटी भंडारे को चलाने के लिए जगह का निर्धारण करेगी और उनकी टाइमिंग और साफ-सफाई की शर्तों के साथ अनुमति दी जाएगी.
मामले की अगली सुनवाई 18 सितंबर को
एनजीटी ने पाया कि यूपी सरकार के पीडब्ल्यूडी विभाग ने रिंग रोड और सर्विस रोड के निर्माण में काफी देर किया है. इनके निर्माण में 4 साल की देरी हो चुकी है जिससे नाराज एनजीटी ने पीडब्ल्यूडी के सचिव और चीफ इंजीनियर को सुनवाई की अगली तारीख को पेश होने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी.