मथुरा:जिले के एक रिक्शा चालक के बेटे सिकांतो मंडल ने साल 2016 में स्वच्छता कार्ट के बदौलत सुर्खियां बटोरी थी. आज वही सिकांतो के सामने आजीविका की बड़ी संकट आ खड़ी है. सिकांतो को इस आविष्कार के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था. आज उसी सिकांतो के घर की क्या स्थिति है हम आपको बताएंगे. जो राष्ट्रपति भवन में 3 दिन तक बतौर मेहमान रहा, जिसे सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने भी सम्मानित किया था, आज उसका परिवार किस तरह की जिंदगी जीने को मजबूर है.
दरअसल, सिकांतो ने साइकिल के कबाड़ से एक मशीन बनाई, जो स्कूल में सभी को पसंद आई. इसके बाद शिक्षकों की सहायता से सिकांतो ने अपने आइडिया को इंस्पायर्ड अवार्ड मानक में भेजा, जहां सिकांतो के मॉडल को सिलेक्ट कर लिया गया और वहां से मशीन बनाने के लिए सिकांतो के खाते में 5 हजारों रुपए भेजे गए. स्टेट एवं नेशनल लेवल की प्रदर्शनी में भी सिकांतो के मॉडल को जगह मिली. इस बीच सिकांतो ने अपनी मोबाइल गार्बेज कलेक्टिंग डिवाइस को 2017 में पेटेंट भी करा लिया.
साल 2016 में दिल्ली में आयोजित नेशनल लेवल की प्रदर्शनी में देश के कोने-कोने से 1 हजार बच्चे पहुंचे थे. 1 हजार बच्चों में 60 बच्चों के मॉडल को चयनित किया गया, जिसमें सिकांतो का मॉडल भी था. प्रदर्शनी के दौरान नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन इंडिया प्राइवेट नाम की संस्था ने सिकांतो के मॉडल को पसंद किया. इसके बाद सिकांतो को एक कंपनी ने इस मशीन को बनाने के लिए 1 लाख रुपए भी दिए. मशीन के सिलेक्शन होने के बाद सिकांतो को जापान भी भेजा गया. यहां सिकांतो को जापान की टेक्नोलॉजी से रूबरू कराया गया.
राष्ट्रपति भवन में बतौर मेहमान गुजारे 3 दिन
इसके अलावा शिकांतो के मॉडल को राष्ट्रपति भवन में पेश किया गया, जहां राष्ट्रपति ने भी सिकांतो के मॉडल को प्रोत्साहित किया. इसके बाद सिकांतो को राष्ट्रपति भवन बुलाया गया, जहां सिकांतो 3 दिन तक बतौर मेहमान रहे. अक्षय कुमार की पैडमैन मूवी के गाने 'साले सपने' के रिलीजिंग के समय भी सिकांतो को सर्व श्रेष्ठ मॉडल के रूप में चयन करके बुलाया गया था. इस दौरान अक्षय कुमार द्वारा भी सिकांतो को 5 लाख रुपए दिए गए थे. इतना सब होने के बाद ही आज सिकांतो की जिंदगी गरीबी और बदहाली में गुजर रही है. पिता एक लोहे की फैक्ट्री में मजदूरी कर घर का गुजर-बसर कर रहे हैं. सिकांतो आगे पढ़ना चाहते हैं और एक बड़ा वैज्ञानिक बनना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वह अपने स्कूल की फीस भरने में भी अपने आप को असमर्थ बता रहे हैं.
ऐसे आया मशीन बनाने का आइडिया