उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

मथुरा का यह मुस्लिम परिवार बना रहा 4 पीढ़ियों से रावण के पुतले - अहिरावण और मेघनाथ के पुतले

मथुरा में एक मुस्लिम परिवार 4 पीढ़ियों से रावण के पुतले बना रहा है. कारीगर ने बताया कि हम पीढ़ी की परंपरा को जीवित रख रहे हैं. उनकी भगवान श्रीराम में आस्था है.

Etv Bharat
मुस्लिम परिवार बना रहा है 4 पीढ़ियों से रावण के पुतलें

By

Published : Oct 3, 2022, 12:36 PM IST

मथुरा: कान्हा की नगरी मथुरा में गंगा जमुनी तहजीब आज भी देखने को मिलती है. जहां आज भी कई मुस्लिम परिवार देवी जागरण और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में सहभागिता कर अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं. वहीं, मथुरा का एक ऐसा मुस्लिम परिवार है जो 4 पीढ़ियों से रावण के पुतले बना रहा है. भले ही बढ़ती हुई महंगाई में उन्हें इसका वाजिब मूल्य न मिल रहा हो. लेकिन, श्रीराम के प्रति उनकी बढ़ती हुई आस्था इस बात का प्रतीक है कि उन्हें इस महंगाई से कोई फर्क नहीं पड़ता. यह मुस्लिम परिवार एक या दो नहीं बल्कि, चार पीढ़ियों से रावण और उसके परिवार के पुतले बनाते आ रहा है. इन पुतलों को बनाने में मुस्लिम परिवार के लोगों को एक अलग ही आनंद की प्राप्ति होती है.

मुस्लिम परिवार के मुखिया छोटे खां हैं. उनके पोते जाहिद ने बताया कि यह काम उनका पुश्तैनी है. पीढ़ी दर पीढ़ी हम रावण के पुतले के साथ-साथ अहिरावण और मेघनाथ के पुतले भी रामलीला के लिए बनाते हैं. या यूं कहें कि रावण के परिवार की वजह से हमारा परिवार चलता है. जाहिद का कहना है कि सबसे पहले परदादा अमीर बक्श, उसके बाद बाबा अली बक्श फिर पिता मुगल बक्श और अब हम इन पुतलों को बनाने का काम कर रहे हैं. यह कार्य 2 महीने पहले शुरू होता है.

कारीगर ने दी जानकारी
इसे भी पढ़े-दशहरे पर मथुरा में रावण की पूजा करते हैं सारस्वत गोत्र के लोग

महाविद्या के रामलीला मैदान में पूरा परिवार पुतले बनाने के दरम्यान यहीं रहता है. पुतले बनाने का कार्य पूरा होने पर परिवार मथुरा के भरतपुर गेट स्थित अपने आवास पर पहुंच जाता है. पुतलों की ऊंचाई को लेकर पूछे गए सवाल पर जाहिद कहते हैं कि इसके लिए 9 लोग अलग-अलग काम करते हैं. सभी लोगों को अलग-अलग काम बांट दिया गया है. रात दिन लगकर यह लोग पुतले तैयार करने में जुटे रहते हैं.

वहीं, पुतला कारीगरों ने बताया कि इस बार 70 फीट रावण, 60 फीट अहिरावण और करीब 15 फीट मेघनाथ के सिर की ऊंचाई होगी. सुलोचना और तारिका के पुतलों की भी ऊंचाई अलग-अलग रखी जाएगी. कारीगर जाहिद कहते हैं कि हम पीढ़ी की परंपरा को जीवित रख रहे हैं. महंगाई के दौर में पुतला बनाना बड़ा कठिन हो चला है. लेकिन, फिर भी उनकी भगवान श्रीराम में आस्था है और जब तक जीवन है, तब तक वह यह कार्य करते रहेंगे.

यह भी पढ़े-वाराणसी में तीन पीढ़ियों से मुस्लिम परिवार बना रहा है रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले

ABOUT THE AUTHOR

...view details