मथुरा:देश की आजादी का जश्न चौतरफा मनाया जा रहा है. 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी हुकूमत से देश आजाद होने में मथुरा के क्रांतिकारियों का भी बड़ा योगदान रहा है. मथुरा क्रांतिकारियों का गढ़ माना जाता था. 14 अगस्त 1942 की रात 12 बजे आगरा से दिल्ली जा रही मालगाड़ी में अंग्रेजी हुकूमत का सोना रखा हुआ था. क्रांतिकारियों ने उसे लूटकर अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका था. जवाबी कार्रवाई में अंग्रेजी हुकूमत ने कई नौजवान और महिला-बच्चों को यातनाएं दी थी. उसकी याद आज भी परखम रेलवे स्टेशन गवाही देता है.
क्रांतिकारियों का गढ़ था मथुरा का परखम कस्बाःजनपद मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर आगरा-दिल्ली राजमार्ग पर स्थित परखम कस्बा क्रांतिकारियों का गढ़ माना जाता था. ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ देश आजाद कराने के लिए क्रांतिकारियों ने यहीं से बिगुल फूंका था. यही नहीं, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश के युवा परखम में आकर अंग्रेजों के खिलाफ रात के अंधेरे में रणनीति तैयार करते थे.
ब्रिटिश शासनकाल का प्रमुख रेलवे स्टेशन था परखमः 1870 में ब्रिटिश शासनकाल में आगरा से दिल्ली की ओर जाने वाली रेलवे लाइन स्थापित की गई थी. अंग्रेज हर रोज मालगाड़ी से आगरा से दिल्ली की ओर आवाजाही करते थे. अंग्रेजो के खिलाफ देश आजाद कराने के लिए क्रांतिकारी हर रोज नई नई रणनीति तैयार करते थे. परखम रेलवे स्टेशन जाट और ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण क्रांतिकारियों का अहम गढ़ माना जाता था.