मथुरा :सुहागन महिलाओं को करवाचौथ का बेसब्री से इंतजार रहता है. पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं सोलह सिंगार कर करवा चौथ का व्रत करती हैं. लेकिन मथुरा जनपद का एक स्थान ऐसा भी है जहां करवा चौथ के व्रत नहीं किया जाता. महिलाएं ढाई सौ वर्षों से सोलह सिंगार नहीं करती. यह परंपरा आज भी कायम है. बताया जाता है कि यहां सती ने श्राप दिया था जिसके चलते सुहागन महिलाएं करवाचौथ का व्रत नहीं करतीं हैं.
पति की दीर्घायु की कामना के लिए रखे जाने वाले व्रत करवाचौथ का महिलाओं को बेसब्री से इंतजार रहता है. पति के लिए महिलाएं हाथों में मेहंदी लगाती हैं व सोलह श्रृंगार करती हैं. करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. वहीं, जनपद मुख्यालय से करीब चालीस किलोमीटर दूर एक सुरीर नाम का कस्बा भी है जहां के बघा गांव में सदियों से सुहागन महिलाएं करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हैं.
करवा चौथ का व्रत रखने पर होती है पति की मृत्यु
स्थानीय लोगों का कहना है कि बघा गांव में सुहागन महिलाएं अगर करवाचौथ का व्रत करती हैं तो पति की मृत्यु हो जाती है. गांव के बुजुर्गों का कहना है कि पहले कई महिलाओं ने सती के श्राप को नहीं माना और करवा चौथ का व्रत किया. कुछ ही दिन बाद सुहागन महिला के पति की मृत्यु हो गयी.
बताया जाता है कि राम नगला के इस रास्ते से होते हुए ब्राह्मण समाज की बेटी बुग्गी पर बैठकर पति के साथ ससुराल जा रही थी. तभी यहां के ठाकुर समाज के लोगों ने उस बुग्गी को रोक लिया. सुहागन महिला के पति पर भैंसा चोरी का आरोप लगाया गया. कहासुनी होने के बाद ठाकुर समाज के लोगों ने महिला के पति को पीट-पीटकर मार दिया.