मथुरा:अलीगढ़ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज राजा महेंद्र प्रताप सिंह (Raja Mahendra Pratap Singh) राज्य विश्वविद्यालय का शिलान्यास करेंगे. महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, शिक्षाविद एवं समाज सुधारक राजा महेंद्र प्रताप सिंह की स्मृति और सम्मान में प्रदेश सरकार अलीगढ़ में राज्य विश्वविद्यालय स्थापित कर रही है. इस विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार में अलीगढ़ मंडल के चारों जनपद अलीगढ़, कासगंज, हाथरस और एटा शामिल हैं.
हाथरस के छोटे से गांव मुरशान में जन्मे राजा महेंद्र प्रताप सिंह लेखक, क्रांतिकारी, समाजसेवी और दानवीर के नाम से विख्यात हुए. कड़ी प्रतिज्ञा लेने के बाद राजा साहब ने 32 वर्षों बाद 9 अगस्त 1946 को भारत की मातृ भूमि पर कदम रखा. 15 अगस्त 1945 को देश आजाद होने के बाद राजा महेंद्र प्रताप सिंह मथुरा के वृन्दावन यमुना नदी किनारे केसी घाट पर प्रेम महाविद्यालय इंटर कॉलेज के परिसर में एक कोठरी में 32 वर्षों तक रहे. 29 अप्रैल 1979 दिल्ली के एम्स अस्पताल में राजा महेंद्र प्रताप सिंह का स्वर्गवास हो गया. आज उस कोठी में राजा महेंद्र प्रताप सिंह का सामान लकड़ी की कुर्सी, टेबल ओर एक संदूक रखी है. पूरा परिसर जर्जर हालत में है.
राजा महेंद्र प्रताप सिंह का जन्म जाट परिवार में 1 दिसंबर 1886 को हाथरस के मुरसान में हुआ था. तीन वर्ष की आयु में राजा हर नारायण सिंह ने उन्हें गोद ले लिया. क्योंकि राजा हर नारायण सिंह के कोई पुत्र नहीं था. राजा हर नारायण सिंह की पत्नी रानी साहब कुमारी हाथरस छोड़कर वृंदावन के महल में आकर महेंद्र प्रताप सिंह के साथ रहने लगीं. अलीगढ़ के सय्यद खा द्वारा स्थापित स्कूल में बीए तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद महेंद्र प्रताप सिंह का विवाह राजकुमारी संगरुर के साथ हुआ था.
महेंद्र प्रताप सिंह ने अफगानिस्तान में बनाई सरकार
1 दिसंबर 1915 को 28 वर्ष की आयु में राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अफगानिस्तान में निर्वाचित सरकार का गठन किया था. राजा महेंद्र प्रताप सिंह राष्ट्रपति पद पर आसीन हुए थे. भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने के लिए राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने जर्मनी, तुर्की, अफगानिस्तान के शासकों को पत्र लिखकर स्वतंत्रता संग्राम में सहायता करने का आग्रह किया था.
राजा महेंद्र प्रताप सिंह की कड़ी प्रतिज्ञा
युवा अवस्था में राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अंग्रेजी हुकुमत के अत्याचारों को देखते हुए कड़ी प्रतिज्ञा ली. जब तक अंग्रेजी हुकुमत हिंदुस्तान से चली नहीं जाती, तब तक भारत की मातृ भूमि पर कदम नहीं रखूंगा. राजा महेंद्र प्रताप सिंह अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ विदेशों में रहकर रणनीति तैयार किया करते थे. अंग्रेजी शासक भारत छोड़ने की घोषणा होने के बाद 9 अगस्त 1946 को 32 वर्ष का वनवास काटने के बाद राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने भारत की मातृ भूमि पर कदम रखा.