मथुराः धर्म नगरी वृंदावन में एक बार पुनः गजेंद्र मोक्ष लीला के रूप में भक्त के प्रति भगवान का स्नेह प्रदर्शित किया गया. गजेंद्र मोक्ष लीला के नाम से जानी जाने वाली यह लीला दक्षिण भारतीय शैली के प्रसिद्ध श्रीरंगनाथ मंदिर में आयोजित हुई. गजेंद्र मोक्ष लीला के अंतर्गत मंदिर के पुष्करणी कुंड में प्रतीकात्मक रूप में आयोजित गज-ग्राह यानी हाथी और मगरमच्छ के मध्य युद्ध लीला का आनंद लेने के लिए श्रद्धालु भक्तों की भीड़ एकत्रित हो गई. इसके बाद लीला आरम्भ होते ही श्रद्धालुओं का ध्यान गज और ग्राह के बीच चल रहे युद्ध पर केंद्रित हो गया.
श्रीरंगनाथ मन्दिर में बारहद्वारी के समीप स्थित पुष्करणी सरोबर में गज ग्राह लीला का आयोजन किया गया. आषाढ़ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को आयोजित होने वाली इस लीला में भक्त और भगवान के संबंध को दिखाया गया है. सांय काल की बेला में पुष्करणी में गज (हाथी) जब स्नान करते हैं. इसी दौरान वहां मौजूद ग्राह (मगरमच्छ) उनका पैर पकड़ लेता है. मगरमच्छ की पकड़ में आये गज ने इस संकट से निपटने के लिए भगवान का स्मरण किया. जिस पर भक्त की पुकार पर स्वर्ण निर्मित गरुड़ जी पर विराजमान होकर भगवान रंगनाथ पुष्करणी पहुंचे. जहां उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से ग्राह का उद्धार किया और गज को बचाया. भगवान का सुदर्शन चलते ही भक्त भगवान रंगनाथ के जयकारे लगाने लगे.