मथुराः प्रदेश में खिलाड़ियों की दशा क्या है, ये मथुरा के विश्व चैंपियन कराटे में गोल्डमेडलिस्ट हरिओम शुक्ला को देख कर समझा जा सकता है. ये उपलब्धि उन्होंने 2013 में थाइलैंड में हासिल की थी. आज उनकी ऐसी दशा है कि वे अपना मेडल बेचने के लिए कबाड़े की दुकान के चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन दुकानदार ने मेडल खरीदने से मना कर दिया. अब पूर्व विश्व चैंपियन का ये मेडल ही सहारा था. जिससे वे कुछ दिनों तक अपना और घर के लोगों का पालन पोषण करते. जिला प्रशासन और शासन स्तर तक कई बार गुहार लगा चुके हरिओम शुक्ला की आर्थिक स्थिति ऐसी हो गई है कि उनकी आंखों से आंसू निकल रहे हैं.
पूर्व विश्व चैंपियन कबाड़े मे बेच रहा मेडल
जिले के यमुनापार स्थित ईसापुर के रहने वाले हरिओम शुक्ला गरीबी और बेबसी के आंसू बहाते नजर आ रहे हैं. गरीबी और आर्थिक तंगी के चलते गोल्ड मेडल, सिल्वर मेडल को बेचने के लिए कबाड़े की दुकान पर पहुंच गए. लेकिन बदनसीबी ऐसी कि दुकानदार ने भी उन मेडलों को खरीदने से मना कर दिया. कराटे में पूर्व विश्व चैंपियन रहे शुक्ला ने बताया कि वे मेडल बेचकर जो पैसा मिलेगा, उससे अपने परिवार का पालन पोषण करेंगे. सबसे पहले हरि ओम शुक्ला ने ट्रेडिशनल सयूटो कराटे फेडरेशन ऑफ इंडिया के बैनर तले 2006 में मथुरा से कराटे खेलना शुरु किया था. इसके बाद हरिओम ने एक के बाद एक पदक जीतना शुरु किया.
स्पोर्ट्स खिलाडी हरिओम शुक्ला का जन्म 28 अगस्त 1993 को हुआ था. हाईस्कूल, इंटरमीडिएट करने के बाद हरिओम स्पोर्ट्स में अपनी रूचि दिखाने लगे. गरीब होने की वजह से हरिओम को किसी का सहयोग न मिलने की वजह से आज इंटरनेशनल खिलाडी गरीबी के आंसू बहा रहा है. स्पोर्ट्स खिलाडी हरिओम ने कई देश थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश में जाकर कराटे चैंपियनशिप में पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया है. 2013 में थाईलैंड में हुई विश्व कराटे चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर हरिओम ने देश का नाम रोशन किया.
स्पोर्ट्स खिलाडी हरिओम शुक्ला को कराटे में कई पदक जीतने के बाद भी स्पोर्ट्स कोटे से कोई लाभ नही मिला. अधिकारियों से लेकर नेताओं के चक्कर काट चुके हरिओम को केवल आश्वासन पर आश्वासन मिले हैं. किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली. जबकि प्रदेश और केंद्र सरकार की अनेकों योजनाएं खेलो इंडिया के तहत खिलाड़ियों को लाभांवित करने के दावे करती हैं. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रहे हैं.