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मथुरा : पराली जलाने के आरोप में तीन किसानों पर कार्रवाई

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Published : Oct 10, 2020, 11:48 AM IST

यूपी के मथुरा जिले में पराली जलाने पर रोक लगाने को लेकर अब प्रशासन ने कमर कस ली है. वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सेटेलाइट से निगरानी की जा रही है. प्रशासन ने पराली जलाने के आरोप में 3 किसानों पर FIR दर्ज कर कार्रवाई की है.

पराली जलाने के आरोप में तीन किसानों पर कार्रवाई.
पराली जलाने के आरोप में तीन किसानों पर कार्रवाई.

मथुरा :जिले में पराली जलाने पर रोक लगाने को लेकर अब प्रशासन ने कमर कस ली है. वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सेटेलाइट से निगरानी की जा रही है. प्रशासन ने पराली जलाने के आरोप में 3 किसानों पर FIR दर्ज कर कार्रवाई की है. साथ ही किसानों पर 15 हजार का अर्थदंड भी लगाया गया है.

दरअसल, पिछले वर्ष जिले में पराली जलाने की 464 घटनाएं दर्ज की गईं थीं. जो कि प्रदेश में सबसे ज्यादा थीं. लेकिन इस साल जिले में कृषि विभाग ने पराली जलाने पर रोक लगाने को लेकर कमर कस ली है. इस बार कृषि विभाग किसानों पर नजर बनाए हुए है. विभाग ऐसे किसानों को चिन्हित कर रहा है जो चोरी चुपके पराली जलाने का कार्य कर रहे हैं. पराली जलाने के आरोप में अब तक जनपद में 3 किसानों के ऊपर एफआईआर भी दर्ज की गई है. सेटेलाइट के माध्यम से भी एक पराली जलाने की घटना पकड़ी गई है. पकडे़ गए इन किसानों पर पंद्रह हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है.

उप कृषि निदेशक धुरेंद्र कुमार.

जानकारी देते हुए उप कृषि निदेशक धुरेंद्र कुमार ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए अब पराली जलाने वाले किसान सेटेलाइट की मदद से चिंहित किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पराली जलाने की समस्या जनपद में गंभीर है. पिछले वर्ष 464 घटनाएं यहां पर हुई थीं, जो कि प्रदेश में सबसे ज्यादा थीं. उन्होंने कहा कि अब हम एनसीआर का पार्ट हैं. पराली का धुआ घरों को प्रभावित करते हुए, मोहल्लों, गावों को प्रभावित करते हुए दूसरे स्टेट में जाएगा. इसके कारण वातावरण काफी प्रदूषित होता है. ये धुंआ छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं और ऐसे बुजुर्ग जिनको सांस की बीमारी है, उनके लिए काफी नुकसानदायक है. इसलिए सरकार का निर्देश है कि पराली को न जलाएं. पराली जलाने को लेकर सरकार द्वारा सख्त नियम कर दिए गए हैं. किसानों के लिए आवश्यक कर दिया गया है कि वह कंबाइंड हार्वेस्टर से काटते समय एसएमएस लगाकर कटाई करें. इसके साथ ही किसानों को जागरुक भी किया जा रहा है. साथ ही कई किसान इसका प्रयोग भी कर रहे हैं.

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