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मथुरा कलेक्ट्रेट में किसानों ने किया प्रदर्शन, रखी ये मांगे

मथुरा में भारी संख्या में किसानों ने पैदल मार्च कर कलेक्ट्रेट पहुंचे. यहां उन्होंने जमकर नारेबाजी की और मुख्यमंत्री के नाम विभिन्न मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा.

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मथुरा कलेक्ट्रेट

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Published : Nov 2, 2022, 8:59 PM IST

मथुराः भारी संख्या में किसानों ने बुधवार को पैदल मार्च करके कलेक्ट्रेट पहुंचे. यहां उन्होंने जमकर नारेबाजी की और मुख्यमंत्री के नाम विभिन्न मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा. इस दौरान किसानों को सिंचाई बंधुओं का समर्थन मिला. किसानों ने बताया कि नालों (ड्रेन) की सफाई न होने के चलते किसानों को गेहूं की फसल की बुवाई करने में भी समस्या हो रही है. अधिकारी कह रहे हैं कि डीएपी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, जबकि दुकानदार उसे अधिक कीमत पर बेच रहे हैं.

सिंचाई बंधु उपाध्यक्ष सुधीर रावत

किसानों ने बताया कि आवारा पशुओं के चलते किसानों को कटीले तार लगाने पड़ रहे हैं, लेकिन आवारा पशुओं की व्यवस्था करने की बजाय प्रशासन किसानों को परेशान कर रहा है. हर प्रकार की कमर्शियल वाहनों पर ओवरलोडिंग चल रही है, लेकिन ट्रैक्टर-ट्रॉली पर किसानों के चालान काटे जा रहे हैं. जल्द ही इन समस्याओं को शासन प्रशासन द्वारा दूर नहीं किया गया, तो किसान उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे.

किसानों ने गिनाई समस्याएं
पैदल मार्च कर ज्ञापन सौंपने पहुंचे किसानों ने बताया कि जनपद भर में आज भी लगभग 10 हजार से अधिक हेक्टेयर भूमि जलमग्न है, जिसके चलते गेहूं की फसल की बुवाई नहीं की जा सकती. इसका कारण है कि जनपद भर में लगभग ढाई सौ ड्रेन हैं अगर वह ड्रेन समय रहते साफ किए जाते तो किसानों को समस्या नहीं होती. धन पूरा आवंटित हुआ, लेकिन फिर भी प्रशासन की और संबंधित विभाग की अराजकता के चलते किसान शिकार हुए काम नहीं हुए. इसका परिणाम हजारों करोड़ों रुपये का किसानों का जो नुकसान हुआ वह कुछ दुष्ट अफसरों की वजह से हुआ. ऐसे अफसरों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.

किसानों ने बताया कि गेहूं की बुवाई शुरू हो चुकी है और जो आवारा पशुओं की समस्या है वह जनपद में बहुत अत्यधिक है. लोग बुवाई कर रहे हैं इसके साथ ही आवारा पशु उसको उजाड़ रहे हैं. इसको लेकर प्रशासन तुरंत एक्टिव हो और आवारा पशुओं को गौशालाओं में छोड़ने की व्यवस्था सुनिश्चित करे.

किसानों ने बताया कि जनपद भर में अभी भी डीएपी की बहुत किल्लत है, जबकि इस संबंध में अफसरों से बात की जाती है तो वह कहते हैं पर्याप्त डीएपी है. कोई भी दुकानदार ऐसा नहीं है जो सौ से डेढ़ सौ रुपये अधिक में डीएपी का कट्टा न बेच रहा हो, स्टॉक में डीएपी है, लेकिन वह महंगा बेच रहा है, जिसके चलते किसान को नुकसान हो रहा है. किसानों ने बताया कि कटीले तारों के लिए लेखपालों ने और नायब तहसीलदारों ने कटीले तारों को लेकर किसानों को परेशान कर रखा है, अगर आप आवारा पशुओं की व्यवस्था कर देंगे तो किसान क्यों कटीले तार लगाएंगे.

किसानों ने बताया कि 'अगर कोई किसान किसी की गमी में जाता है, किसी भंडारे में जाता है या किसी कार्यक्रम में जाता है तो किसान पर कोई गाड़ी, घोड़ा या हवाई जहाज नहीं है. उसके पास एकमात्र ट्रैक्टर ट्रॉली का साधन है तो फिर किसानों के चालान क्यों हो रहे हैं, बाकी वाहनों में इतनी ओवरलोडिंग चल रही है बसों में चल रही है, अन्य कमर्शियल वाहनों में ओवरलोडिंग चल रही है, लेकिन उस तरफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है'.

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