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मथुरा: श्री राधावल्लभ मंदिर में हर्षोल्लास से मनाया गया दीपावली महोत्सव

उत्तर प्रदेश के मथुरा में अधिक मास यानी पुरुषोत्तम मास में वर्षभर आयोजित होने वाले सभी विशेष पर्व त्योहार श्रीधाम वृंदावन के श्री राधावल्लभ मंदिर में मनाए जाते हैं. शुक्रवार को श्री राधावल्लभ मंदिर में दीपावली महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस दौरान मंदिर के आंतरिक और बाहरी परिसर को रंग बिरंगी विद्युत झालरों और दीपमालाओं से सजाया गया.

दीपावली महोत्सव
दीपावली महोत्सव

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Published : Sep 26, 2020, 9:48 AM IST

मथुरा: धर्म नगरी वृंदावन के श्री राधावल्लभ मंदिर में दीपावली महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. जिले के श्रीधाम वृंदावन के श्री राधावल्लभ मंदिर में वर्षभर आयोजित होने वाले सभी विशेष पर्व त्योहार इस अधिक मास यानी पुरुषोत्तम मास में भी पूर्ण विधिविधान से मनाए जाते हैं. दीपावली महोत्सव के अंतर्गत जहां मंदिर के आंतरिक और बाहरी परिसर को रंग-बिरंगी विद्युत झालरों और दीपमालाओं से सजाया गया. वहीं ठाकुर राधावल्लभ लाल जू को चांदी से निर्मित हटरी में राजा के रूप में विराजमान किया गया.

राधावल्लभ मंदिर में मनाया गया दीपावली महोत्सव.


धर्म की नगरी वृंदावन के श्री राधावल्लभ मंदिर में दीपावली महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. मंदिर के सेवायत मोहित गोस्वामी ने बताया कि पुरुषोत्तम मास में साल भर के सारे उत्सव मनाए जाते हैं, जिसमें शुक्रवार को दीपावली का उत्सव मनाया गया. मोहित गोस्वामी ने बताया कि राधा वल्लभ लाल चौसर खेल रहे हैं और गीत गायन हुआ है. इन्हीं उत्सवों का आनंद लिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पुरुषोत्तम मास में साल भर के सारे उत्सव जो विचार किए गए हैं. उन्हें मनाया जाएगा. 3 साल में जिन-जिन महीनों की जो तिथियां कम हुई हैं, उन महीनों में उन तिथियों की हाजरी लगती है. जैसे सावन में तीज से लेकर रक्षाबंधन तक महाराज जी झूले में विराजते हैं.

दीपावली महोत्सव.

ऑनलाइन हुए भगवान के दर्शन
धर्म की नगरी वृंदावन के प्रसिद्ध राधावल्लभ मंदिर में आयोजित दीपावली महोत्सव के अंतर्गत जहां मंदिर के आंतरिक और बाहरी परिसर को रंग-बिरंगी विद्युत झालरों और दीपमालाओं से सजाया गया. वहीं ठाकुर राधावल्लभ लाल जू को चांदी से निर्मित हटरी में राजा के रूप में विराजमान किया गया. इसके साथ ही राधावल्लभ मंदिर में दीपावली पर ठाकुरजी के चौसर खेलने की परंपरा का बखूबी निर्वहन किया गया. जहां ठाकुरजी और राधारानी के दो अलग-अलग प्रतिनिधियों के रूप में सेवायत गोस्वामियों द्वारा बाजी खेली गई. कोरोनाकाल में मंदिर प्रबंधन द्वारा श्रद्धालुओं को इन दिव्य दर्शनों का लाभ प्रदान करने के लिए ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था की गई.

चौसर का खेल.

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