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श्री कृष्ण जन्मभूमि परिसर में बने अवैध निर्माण हटाने की मांग

श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा समिति ने प्रेस कांफ्रेंस कर श्री कृष्ण जन्मभूमि परिसर में बने अवैध निर्माण हटाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान पूरे परिसर का नगर निगम में वाटर टैक्स भी जमा करता आया है.

जानकारी देते गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी.
जानकारी देते गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी.

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Published : May 19, 2022, 6:58 PM IST

मथुराः श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा समिति ने बृहस्पतिवार को इंटरनेशनल गेस्ट हाउस में मीडिया से बातचीत करते हुए श्री कृष्ण जन्मभूमि परिसर में बने अवैध निर्माण हटाने की मांग की. श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा समिति के सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने कहा कि पहले से ही अवैध कब्जा हटाने को लेकर न्यायालय में भी प्रार्थना पत्र दिए गए थे. न्यायालय ने सहयोग किया था लेकिन कुछ लोगों द्वारा परिसर से अवैध कब्जा नहीं हटाया गया. श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान पूरे परिसर का नगर निगम में वाटर टैक्स भी जमा करता आया है.

जानकारी देते गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी.
श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान समिति के सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने बताया कि ब्रिटिश शासन काल में 1815 में नीलामी के दौरान बनारस के राजा पटनीमल ने इस जगह को खरीदा था. 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय जब मथुरा आए तो श्रीकृष्ण जन्म स्थान की दुर्दशा को देखकर दुखित हुए. स्थानीय लोगों ने भी मदन मोहन मालवीय जी से कहा यहां भव्य मंदिर बनना चाहिए. मदन मोहन मालवीय ने मथुरा के उद्योगपति जुगल किशोर बिरला को जन्मभूमि पुनरुद्वार के लिए पत्र लिखा था. इसके बाद 21 फरवरी 1951 में श्री कृष्ण जन्म भूमि ट्रस्ट की स्थापना की.गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने बताया कि श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट जमीन का मालिकाना हक उसी के पास है. सरकारी दस्तावेज और नगर निगम का वॉटर टैक्स वही जमा करता है. यहां तक की शाही ईदगाह मस्जिद का मालिकाना हक भी सेवा ट्रस्ट के पास है. तहसील में सरकारी दस्तावेज में नाम अंकित है. उन्होंने कहा कि शुरू से ही पटनीमल परिवार यहां रहता था. 1944 में माननीय मदन मोहन मालवीय जी, प्रोफेसर साहब और गणेश दत्त बाजपेई के नाम से रजिस्ट्री हुई. बिरला परिवार यहां पधारे, उससे पहले हनुमान प्रसाद पोद्दार एक यात्रा पर यहां आए थे. उन्होंने लक्ष्मी नारायण हॉल में एक सभा रखी थी और परिसर का निरीक्षण भी किया था.

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गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियां यहां विराजमान थी. मूर्तियों को तोड़कर विदेशी आतंकियों ने मस्जिदों की सीढ़ियों में दबा दिया गया. जब भी मुसलमान मस्जिद में नमाज पढ़ने आएंगे तो इन मूर्तियों पर पैर रखकर गुजरेंगे और हिंदुओं की आस्था आहत होगी. श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर को बनाने के लिए 20 वर्ष का समय लगा और 33 लाख रुपए की लागत आई. उन्होंने कहा कि औरंगजेब जब मथुरा आया था तो उसने मंदिर तोड़ने का फरमान जारी किया था. मथुरा का नाम बदलकर इस्लामाबाद रखा था. औरंगजेब जजिया लगाया करता था. 1670 में मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया था. औरंगजेब के फरमान आज भी जोधपुर के महल में मौजूद है. उन्होंने कहा कि मंदिर की नींव बहुत ही विशाल होती थी. श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर की नींव के नीचे ही मस्जिद बनाई गई और आज भी भगवान श्री कृष्ण का मूल विग्रह मंदिर मस्जिद के नीचे दबा हुआ है.

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