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ब्राह्मण महासभा ने कुंभ मेला क्षेत्र को आरक्षित करने की मांग की - मथुरा में कुंभ मेला 2021

मथुरा जिले में शुक्रवार को अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण सभा की बैठक आयोजित की गई. बैठक में आगामी कुंभ मेला की तैयारियों पर चर्चा की गईं. वक्ताओं ने कहा कि हाईकोर्ट ने साल 2010 में प्रदेश सरकार एवं जिला प्रशासन को कुंभ मेला भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने की निर्णय दिया था, लेकिन अब तक संपूर्ण क्षेत्र को आरक्षित नहीं किया गया.

कुंभ मेला क्षेत्र को आरक्षित करने की मांग की
कुंभ मेला क्षेत्र को आरक्षित करने की मांग की

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Published : Oct 24, 2020, 9:34 AM IST

मथुरा: धर्म नगरी वृंदावन में आगामी 16 फरवरी से 28 मार्च तक लगने वाले कुम्भ मेला क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए आवाज बुलंद होने लगी है. शुक्रवार को अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण सभा ने श्रीराधा सनेह बिहारी मंदिर में बैठक आयोजित की. बैठक में जिस क्षेत्र में कुंभ मेला लगता है, उसे कुंभ मेला क्षेत्र घोषित किये जाने और अतिक्रमण मुक्त कर संरक्षित करने की मांग की गई. साथ ही बैठक में कुंभ मेले की तैयारियों को लेकर साधु-संतों ने विचार विमर्श किया और आगे की रणनीति बनाई.

वृंदावन में लगने वाले कुंभ मेले को लेकर अब मामला गरमाने लगा है. कुंभ मेले की व्यवस्थाओं को लेकर लगातार साधु-संत शासन प्रशासन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे हैं. अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अतुल कृष्ण गोस्वामी के मुताबिक, ठाकुर श्रीराधा स्नेह मंदिर में आयोजित बैठक में महासभा के अध्यक्ष और राष्ट्रीय प्रवक्ता समेत महानुभाव भी उपस्थित थे.

उन्होंने बताया कि प्रत्येक 12 वर्ष बाद हरिद्वार और वृंदावन में लगने वाला कुंभ मेला का अपना एक विशेष ऐतिहासिक महत्व है. इस मेले में सभी ब्रजवासी संतों के साथ यमुना स्नान करते हैं. 40 दिन तक श्रीधाम वृंदावन में उत्सव सा बना रहता है. भागवत, रामायण, यज्ञ, हवन होते रहते हैं.

उनका कहना है कि साल 2010 में अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा एवं वृंदावन के 13 अखाड़ों के संत महंतों ने एक जनहित याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर की थी. याचिका के मुताबिक, जिस क्षेत्र में मेला लगता है, उसे कुंभ मेला क्षेत्र घोषित किया जाए. दायर याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस ने एक आदेश पारित किया था.

उन्होंने कहा था कि उत्तर प्रदेश सरकार ही इस क्षेत्र को कुंभ मेला क्षेत्र घोषित करे और संपूर्ण भूमि को अतिक्रमण मुक्त करे. दुर्भाग्य की बात है कि 10 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके लिए कई बार प्रशासन के समक्ष भी मांग रखी गई, लेकिन सुनवाई नहीं हुई.

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