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मथुरा: आजादी के 73 साल बाद भी बदहाली के आंसू बहा रहा सलेमपुर गांव - अनदेखी के कारण गांव की स्थिति खराब

मथुरा जिले के फरह थाना क्षेत्र के अंतर्गत सलेमपुर गांव में कोई विकास कार्य नहीं हो सका है. गांव के लोग नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं. हालांकि शासन प्रशासन ने कई बड़े वादे किए लेकिन वादे पूरे नहीं हो सके.

बदहाली के आंसू बहा रहा सलेमपुर गांव
बदहाली के आंसू बहा रहा सलेमपुर गांव

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Published : Aug 9, 2020, 2:27 PM IST

मथुरा:सरकार और प्रशासन के बड़े-बड़े वादों के बाद भी नाथ समुदाय के लोग नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं. चारों ओर गांव में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. गांव में न तो पक्के मकान न बिजली और न ही साफ पानी की सुविधा उपलब्ध हो पाई है. इसके साथ ही वह रोजगार लोगों के पास अपना जीवन यापन करने के लिए है.

जिले के फरह थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव सलेमपुर में अधिकतर लोग नाथ समुदाय के रहने वाले हैं. आजादी के इतने सालों के बाद भी गांव में विकास कोसों दूर नजर आता है. गांव में ना तो पक्की सड़कें हैं और ना ही साफ पानी की व्यवस्था है ना ही बिजली है. लंबे समय से लोग विकास की आस में जी रहे हैं.

बदहाली के आंसू बहा रहा सलेमपुर गांव
गांव की ही रहने वाली गंगा देवी का कहना है कि जब से शादी हुई है तब से कच्ची झोपड़ी में बिना साफ पानी और बिजली के वह इतने सालों तक अपना जीवन बिताती चली आई है. वह अपाहिज हैं इसलिए खुद जाकर कोई काम नहीं कर सकती, पति लगातार बीमार रहते हैं. तीन मासूम बच्चों को बिना किसी सुविधा के इधर-उधर से मांग कर गुजर-बसर कर देना होता है, ना ही किसी सरकारी योजना का लाभ मिल पाया है. कई दफा प्रधान से और आला अधिकारियों से गुहार लगाई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. गांव के ही निरंजन का कहना है कि गरीबी और भुखमरी में कितने साल बिता दिए कुछ समय पहले पक्के मकान मिलने की आस जगी तो प्रधान से जाकर बात की.
प्रधान ने पक्का मकान दिलाने के एवज में 35 हजार रुपये मांगे ना ही कभी 35 हजार रुपये हो पाए और ना ही पक्का मकान मिल पाया.जब इस संबंध में विकास खंड अधिकारी हरिओम से बात की तो उन्होंने बताया कि कोरोनावायरस संक्रमण के चलते गांव में सफाई कर्मी नहीं जा रहे थे, लेकिन अब स्थिति बेहतर होने के चलते सफाई कर्मी जा रहे हैं. इसलिए अब गांव में सफाई नजर आने लगेगी. वहीं पक्के मकान के संबंध में बात की तो उन्होंने बताया कि अभी प्रधानमंत्री आवासीय योजना के अंतर्गत इस वित्तीय वर्ष में ना ही पत्र मांगे गए हैं ना ही आवेदन मांगे गए हैं. प्रधान की ओर से 35 हजार रुपये में पक्के मकान दिलाने के एवज में जो मामला है, उसकी जांच कराकर कठोर कार्रवाई की जाएगी.

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