मथुरा:जनपद में कृषि विभाग ने किसानों को चेताते हुए कहा है कि, किसान जैविक खेती की तरफ जाएं नहीं तो धीरे-धीरे जमीन बंजर होगी. कृषि विभाग के अनुसार केमिकल फर्टिलाइजर, इंसेक्टिसाइड, पेस्टिसाइड का जितना भी इस्तेमाल होता है वो पौधों के अंदर अपना कुछ न कुछ इफेक्ट छोड़ जाता है. इससे प्वाइजनस कंपोनेंट प्लांट सिस्टम के अंदर धान और भूसे में प्रवेश कर जाता है. यह जानवरों की सेहत को भी प्रभावित करता है और मनुष्य की सेहत को भी. जमीन पर ज्यादा खाद डालने से किसान धीरे-धीरे जमीनों को बंजर कर रहे हैं.
जिला उप कृषि निदेशक ने जानकारी दी:जिला उप कृषि निदेशक राम कुमार माथुर ने बताया कि केमिकल फर्टिलाइजर, इंसेक्टिसाइड , पेस्टिसाइड जितने भी यूज़ होते हैं यह पौधों के अंदर अपना कुछ न कुछ इफेक्ट छोड़ते हैं. बेहतर तरीका है कि, किसान जैविक खेती की तरफ जाएं. जैविक खेती के जरिए निश्चित रूप से निजात मिलेगी. जमीन पर ज्यादा खाद डाल कर जमीन को पूरी तरह से बंजर कर दिया गया है. यह जमीन बंजर की तरफ बढ़ रही है.
ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा कम होने से मिट्टी की संरचना होती है खराब:जिला उप कृषि निदेशक ने बताया कि, जमीन में यह खाद इस तरह से नुकसान करती है कि, जब इसमें जैविक कंपोनेंट ज्यादा होता है तो वह एक प्रेरक का काम करती है. इसमें एनसी रेशियो अच्छा होता है नाइट्रोजनस सब्सटेंसस ऑर्गेनिक कार्बन जब ज्यादा होता है तो यह खाद प्रेरक का काम करती है. जब इसमें ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा कम हो जाती है तो खाद एक तरह से गलत इफेक्ट के रूप में आती है और वह मिट्टी की संरचना को खराब करने लग जाती है. उसके अंदर जितने भी माइक्रोब्स, केंचुआ, लाभदायक कीट, लाभदायक जीवाणु वो मरने लगते हैं. कैरिंग कैपेसिटी अल्टीमेटली सोइल की जो है प्रभावित होती है और उससे फसलें भी अच्छी नहीं होती हैं. यदि फसलें होती भी हैं तो वह इंटरनेशनल मार्केट, नेशनल के स्तर पर किसान को उसका अच्छा मूल्य नहीं मिलता है. इसलिए आवश्यकता है कि किसान भरपूर मात्रा में ग्रीष्मकालीन जुताई करें.