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कृषि विभाग ने किसानों को चेताया, कहा- जैविक खेती नहीं तो जमीन होगी बंजर - agriculture department

मथुरा में कृषि विभाग ने किसानों को चेताया है. जमीन पर ज्यादा खाद डालने से किसान धीरे-धीरे जमीनों को बंजर कर रहे हैं. जिला उप कृषि निदेशक राम कुमार माथुर ने किसानों से जैविक खेती करने की अपील की है.

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जैविक खेती नहीं तो जमीन होगी बंजर

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Published : Jun 17, 2022, 6:38 PM IST

मथुरा:जनपद में कृषि विभाग ने किसानों को चेताते हुए कहा है कि, किसान जैविक खेती की तरफ जाएं नहीं तो धीरे-धीरे जमीन बंजर होगी. कृषि विभाग के अनुसार केमिकल फर्टिलाइजर, इंसेक्टिसाइड, पेस्टिसाइड का जितना भी इस्तेमाल होता है वो पौधों के अंदर अपना कुछ न कुछ इफेक्ट छोड़ जाता है. इससे प्वाइजनस कंपोनेंट प्लांट सिस्टम के अंदर धान और भूसे में प्रवेश कर जाता है. यह जानवरों की सेहत को भी प्रभावित करता है और मनुष्य की सेहत को भी. जमीन पर ज्यादा खाद डालने से किसान धीरे-धीरे जमीनों को बंजर कर रहे हैं.

जिला उप कृषि निदेशक ने जानकारी दी:जिला उप कृषि निदेशक राम कुमार माथुर ने बताया कि केमिकल फर्टिलाइजर, इंसेक्टिसाइड , पेस्टिसाइड जितने भी यूज़ होते हैं यह पौधों के अंदर अपना कुछ न कुछ इफेक्ट छोड़ते हैं. बेहतर तरीका है कि, किसान जैविक खेती की तरफ जाएं. जैविक खेती के जरिए निश्चित रूप से निजात मिलेगी. जमीन पर ज्यादा खाद डाल कर जमीन को पूरी तरह से बंजर कर दिया गया है. यह जमीन बंजर की तरफ बढ़ रही है.

करें जैविक खेती नहीं तो जमीन होगी बंजर

ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा कम होने से मिट्टी की संरचना होती है खराब:जिला उप कृषि निदेशक ने बताया कि, जमीन में यह खाद इस तरह से नुकसान करती है कि, जब इसमें जैविक कंपोनेंट ज्यादा होता है तो वह एक प्रेरक का काम करती है. इसमें एनसी रेशियो अच्छा होता है नाइट्रोजनस सब्सटेंसस ऑर्गेनिक कार्बन जब ज्यादा होता है तो यह खाद प्रेरक का काम करती है. जब इसमें ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा कम हो जाती है तो खाद एक तरह से गलत इफेक्ट के रूप में आती है और वह मिट्टी की संरचना को खराब करने लग जाती है. उसके अंदर जितने भी माइक्रोब्स, केंचुआ, लाभदायक कीट, लाभदायक जीवाणु वो मरने लगते हैं. कैरिंग कैपेसिटी अल्टीमेटली सोइल की जो है प्रभावित होती है और उससे फसलें भी अच्छी नहीं होती हैं. यदि फसलें होती भी हैं तो वह इंटरनेशनल मार्केट, नेशनल के स्तर पर किसान को उसका अच्छा मूल्य नहीं मिलता है. इसलिए आवश्यकता है कि किसान भरपूर मात्रा में ग्रीष्मकालीन जुताई करें.

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ग्रीष्मकालीन जुताई करने के बाद इस समय वेस्ट डीकंपोजर आ रहे हैं. यदि गेहूं के ठूंठ इत्यादि बन रहे हैं, तो वह वेस्ट डीकंपोजर से उसका घोल बनाकर छिड़काव कर दें और उसकी पलटाई कर दें.

यदि किसी किसान को इस बारे में नॉलेज नहीं है तो उसके लिए किसान उस खेत में पानी लगा दे और 20 किलोग्राम यूरिया डाल करके उन प्लांट देवरेस को उसी में दबा दें. उससे वह एक ऑर्गेनिक खाद का काम करेंगे. इससे हमारी सॉईल की कैरिंग कैपेसिटी बढ़ेगी और उसमें बनने वाले जितने भी माइक्रोब्स हैं, केंचुए हैं वह जीवित रहेंगे.

हमारी लैब से बायबेरिया वैसाना और दूसरे प्रकार के जो जैविक उर्वरक होते हैं, उनका भी किसान डेढ़ किलो मात्रा में 20 से 25 किलो गोबर की खाद में मिलाकर अच्छे से खेतों में डालेंगे तो निश्चित रूप से हानिकारक कीटों को वह मार देंगे और जितने भी उसमें माइक्रोब्स हैं, उनको बढ़ावा मिलेगा और जैविक रूप से खेत तैयार होगा. साथ ही खादों की मात्रा भी कम होगी.

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