उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

मथुरा की शाही ईदगाह पक्ष के अधिवक्ता बोले, कोर्ट ने सर्वे नहीं निरीक्षण का आदेश दिया है

मथुरा की शादी ईदगाह मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता ने हाल में ही कोर्ट के आदेश को लेकर स्थिति स्पष्ट की है. ईटीवी भारत से उन्होंने बातचीत में क्या कुछ कहा चलिए जानते हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat

By

Published : Dec 28, 2022, 5:42 PM IST

मथुराः शाही ईदगाह (Shahi Idgah Masjid) मस्जिद बनाम श्री कृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmabhoomi) मामले में सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में हिंदू सेना की ओर से प्रार्थना पत्र दाखिल देकर विवादित स्थान का मौका मुआयना कराकर सरकारी अमीन की रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत कराने की मांग की गई थी. न्यायालय ने प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए 20 दिसंबर को सुनवाई तय की थी लेकिन 20 दिसंबर को नो वर्क होने के कारण मामले की सुनवाई नहीं हो सकी थी. इसके बाद 23 दिसंबर को वादी के प्रार्थना पत्र पर फैसला देते हुए कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद का अमीन सर्वे कराने का आदेश कर दिया और 20 जनवरी तक न्यायालय ने उसकी रिपोर्ट मांगी.

वहीं, पूरे मामले पर शाही ईदगाह मस्जिद पक्ष अधिवक्ता तनवीर अहमद का कहना है कि न्यायालय ने बिना हमें नोटिस दिए, बिना हमें हमारे पक्ष को सुने यह फैसला दिया है. लोगों में भ्रम है. कुछ समाचार पत्र और चैनल भ्रम फैला रहे हैं कि न्यायालय ने शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराने के लिए आदेश दिया है जबकि न्यायालय द्वारा शाही ईदगाह मस्जिद का निरीक्षण कराने के आदेश दिए गए हैं. अमीन केवल शाही ईदगाह मस्जिद में जो भी बना हुआ है उसको देखकर उसकी रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करेंगे न कि शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराने करेंगे. बाहरी लोग फिजा खराब करने के लिए मथुरा में आकर इस तरह के वाद दायर कर रहे हैं, जबकि उनका श्री कृष्ण जन्मभूमि से किसी भी तरह का कोई नाता नहीं है.

यह बोले अधिवक्ता तनवीर अहमद.

उन्होंने कहा कि शाही ईदगाह मस्जिद और श्री कृष्ण जन्मस्थान को लेकर लगभग ढाई साल से मुकदमे न्यायालय में लंबित हैं. 15 मुकदमे कायम हो चुके हैं. इनमें पांच मुकदमे खारिज भी हुए हैं. विभिन्न वादों का विषय वही रहता है और लिखावट भी सभी की करीब-करीब एक जैसी है. एक-दूसरे की कॉपी करके पार्टी का नाम चेंज करके इस तरह के मुकदमे लाते रहते हैं. इन सब मुकदमों में उन्होंने रिपोर्ट और सर्वे की मांग भी की है, लेकिन माननीय न्यायालय द्वारा उनमें सुनवाई भी की गई और जब हमारे द्वारा सेवन रूल इलेवन सीपीसी के तहत यह एप्लीकेशन मूव की गई कि पहले यह तो तय हो कि जो वादी पक्ष है उनको क्या अधिकार है मुकदमे को चलाने का. आखिर वह किस हैसियत से आए हैं. 13.37 एकड़ जमीन के वे न तो मालिक हैं और न ही वह श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य हैं न ही सेवा सदन के ट्रस्ट से जुड़े हैं. जिन मुकदमों में लगातार ढाई साल से सुनवाई चल रही है उनमें अभी यह तय होना है कि यह मुकदमे चलने योग्य है या नहीं.

उन्होंने कहा कि यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जनपद मथुरा की सबसे बड़ी न्यायालय जिला जज के यहां पर भी कई मुकदमे दायर हुए हैं. 92 सीपीसी का वाद दायर हुआ जो खारिज हुआ. अपील दायर हुई. ट्रांसफर एप्लीकेशन दायर हुई. सिविल रिवीजन दायर हुए. उन सब में भी जिला जज महोदय ने नोटिस जारी किए तब उनकी तामील नहीं हो सकी. 8 दिसंबर को एक वाद दायर किया गया जोकि ट्रांसफर होकर सिविल जज सीनियर डिविजन तृतीय के यहां पहुंचा, जैसा कि नियम था उनको नोटिस जारी करने थे लेकिन पता नहीं किस तरह से हमें बिना बुलाए बिना सूचना दिए, बिना सुने 8 दिसंबर को ही एक आदेश पारित हो गया, अमीन रिपोर्ट का जिसको तमाम चैनल वाले सर्वे का नाम दे रहे हैं.

उन्होंने कहा कि एक समाचार पत्र ने सर्वे की हेडिंग छापी. उन्होंने यह लिखा कि ज्ञानवापी की तर्ज पर शाही ईदगाह मस्जिद का भी सर्वे आदेश अदालत ने जारी किया है, यह बिल्कुल गलत है. ज्ञानवापी का मामला बिल्कुल अलग है और शाही ईदगाह मस्जिद का मामला अलग है और कोई सर्वे आदेश जारी नहीं हुआ है. अमीन रिपोर्ट का उल्लेख है. अमीन जाएं और निरीक्षण करें जो वहां बना हुआ है उसका निरीक्षण करना है.

यही उसका तात्पर्य है लेकिन अन्य मुकदमों में जहां वादी पक्ष के बार-बार कहने पर बहस करने पर अन्य न्यायालय द्वारा इस तरह की कोई कार्यवाही नहीं की गई तो यहां बिना सुने हुए एक आदेश पारित हुआ. सबसे आश्चर्य की बात यह है कि 8 तारीख के आदेश की जानकारी 24 दिसंबर को एक समाचार पत्र के माध्यम से होती है. इस दौरान ना ही कोई कार्रवाई होती है ना कुछ होता है अगर 8 तारीख का कोई आदेश हुआ अब न्यायालय बंद है, खुलने पर ही मालूम चलेगा. इस मामले को 24 तारीख को ही हाईलाइट क्यों किया गया .

न्यायालय 2 जनवरी को खुलेंगे. हम न्यायालय के सामने अपना पक्ष रखेंगे और न्यायालय का ध्यान इस ओर आकर्षित करेंगे कि यह आदेश गलत रूप में जारी हो गया है. इस मामले में जो भी विधि पूर्ण कार्रवाई होगी उसको हम लोग कराने का काम करेंगे. हमारा न्यायालय की प्रक्रिया में और संविधान में पूर्ण विश्वास है.

ये भी पढ़ेंः रिमांड पूरी होने पर ईडी ने मुख्तार अंसारी को किया कोर्ट में पेश, भेजा गया बांदा जेल

ABOUT THE AUTHOR

...view details