मथुराः शाही ईदगाह (Shahi Idgah Masjid) मस्जिद बनाम श्री कृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmabhoomi) मामले में सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में हिंदू सेना की ओर से प्रार्थना पत्र दाखिल देकर विवादित स्थान का मौका मुआयना कराकर सरकारी अमीन की रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत कराने की मांग की गई थी. न्यायालय ने प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए 20 दिसंबर को सुनवाई तय की थी लेकिन 20 दिसंबर को नो वर्क होने के कारण मामले की सुनवाई नहीं हो सकी थी. इसके बाद 23 दिसंबर को वादी के प्रार्थना पत्र पर फैसला देते हुए कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद का अमीन सर्वे कराने का आदेश कर दिया और 20 जनवरी तक न्यायालय ने उसकी रिपोर्ट मांगी.
वहीं, पूरे मामले पर शाही ईदगाह मस्जिद पक्ष अधिवक्ता तनवीर अहमद का कहना है कि न्यायालय ने बिना हमें नोटिस दिए, बिना हमें हमारे पक्ष को सुने यह फैसला दिया है. लोगों में भ्रम है. कुछ समाचार पत्र और चैनल भ्रम फैला रहे हैं कि न्यायालय ने शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराने के लिए आदेश दिया है जबकि न्यायालय द्वारा शाही ईदगाह मस्जिद का निरीक्षण कराने के आदेश दिए गए हैं. अमीन केवल शाही ईदगाह मस्जिद में जो भी बना हुआ है उसको देखकर उसकी रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करेंगे न कि शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराने करेंगे. बाहरी लोग फिजा खराब करने के लिए मथुरा में आकर इस तरह के वाद दायर कर रहे हैं, जबकि उनका श्री कृष्ण जन्मभूमि से किसी भी तरह का कोई नाता नहीं है.
उन्होंने कहा कि शाही ईदगाह मस्जिद और श्री कृष्ण जन्मस्थान को लेकर लगभग ढाई साल से मुकदमे न्यायालय में लंबित हैं. 15 मुकदमे कायम हो चुके हैं. इनमें पांच मुकदमे खारिज भी हुए हैं. विभिन्न वादों का विषय वही रहता है और लिखावट भी सभी की करीब-करीब एक जैसी है. एक-दूसरे की कॉपी करके पार्टी का नाम चेंज करके इस तरह के मुकदमे लाते रहते हैं. इन सब मुकदमों में उन्होंने रिपोर्ट और सर्वे की मांग भी की है, लेकिन माननीय न्यायालय द्वारा उनमें सुनवाई भी की गई और जब हमारे द्वारा सेवन रूल इलेवन सीपीसी के तहत यह एप्लीकेशन मूव की गई कि पहले यह तो तय हो कि जो वादी पक्ष है उनको क्या अधिकार है मुकदमे को चलाने का. आखिर वह किस हैसियत से आए हैं. 13.37 एकड़ जमीन के वे न तो मालिक हैं और न ही वह श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य हैं न ही सेवा सदन के ट्रस्ट से जुड़े हैं. जिन मुकदमों में लगातार ढाई साल से सुनवाई चल रही है उनमें अभी यह तय होना है कि यह मुकदमे चलने योग्य है या नहीं.